Sunday 10 January 2016

सूफी वाद से ही समात होगा आतंकवाद दरगाह दीवान ने किया शहीदों के परिवारों का सम्मान



सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान और मुस्लिम धर्मगुरु सैय्यद जैनुल आबेदीन ने कहा है कि सूफी वाद से ही आतंकवाद समात हो सकता है। इस्लाम में कट्टरता और आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है। रविवार को नागौर जिले के भकरी कस्बे में हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती एज्युकेशन एवं चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित शहीदों के परिजन के सम्मान समारोह में दीवान आबेदीन ने कहा कि सूफी संत ख्वाजा साहब ने अपने जीवन काल में जो शिक्षा दी, वह आज भी प्रसांगिक है। उन्होंने कहा कि भारत को किसी भी प्रकार के आतंकवाद का मुंह तोड़ जवाब देना चाहिए, क्योंकि इस्लाम धर्ममें कट्टरता और आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है। 
अपने दुश्मनों से हज़रत मोहम्मद साहब ने भी अनेक जंग लड़ी, लेकिन उन्होंने कभी भी इंसानियत को नहीं छोड़ा। जिन औरतों और बच्चों को युद्धमें बंदी बनाकर लाया जाता था, उन सभी को मोहम्मद साहब रिहा करवा देते थे। मोहम्मद साहब ने कभी भी औरतों और बच्चों पर जुम नहीं किया, लेकिन आज जिहाद के नाम पर आतंकवादी औरतों और बच्चों को नहीं छोड़ रहे हैं। दीवान आबेदीन ने मौलाना, मौलवियों और इस्लाम के जानकारों की चुप्पी पर आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मेरे यह समझ में नहीं आता कि ऐसे लोग आलोचना करने से डर क्यों रहे हैं? हमें ऐसा समाज बनाना है जो भाईचारे की शिक्षा देता हो। 
मरहूम पिता की ख्वाहिश:
दीवान आबेदीन ने समारोह में भावुक होते हुए कहा कि उनके पिता मरहूम सैय्यद अलीमुद्दीन की ख्वाहिश थी कि ख्वाजा साहब की दरगाह में आने वाले चढ़ावे में से शहीद परिवारों का सम्मान तथा होनहार बच्चों की प्रतिभाओं को निखारने का काम किया जाए। चूंकि दरगाह में आने वाले चढ़ावे को लेकर हमारे परिवार का खादिम समुदाय से समझौता हो गया है। इसलिए हमारे ट्रस्ट की ओर से आज का आयोजन किया गया है। शहीदों के परिवारों को जब भी मेरी जरुरत होगी, मैं यथासंभव सहयोग करुंगा। मुझे बेहद खुशी है कि मेरे हाथों से शीहदों के परिजन का सम्मान हो रहा है। दीवान आबेदीन ने शहीद अमराराम, सुखराम खीलेरी, गोपाल सिंह, मंगेश सिंह हरनावा, फैज मोहम्मद परबतसर, पांचूराम माली, लाल खां, रामकरण आदि के परिजन को शॉल ओढ़ाकर स्मृति चिह्न भेंट किए। इस मौके पर ट्रस्ट की ओर से प्रमाण पत्र भी दिया गया। साथ ही समाज सेवा के क्षेत्र में डॉ. जी.एस.स्वामी, उगम सिंह, कवि सोहनदान चारण, केसर सिंह, गोर्वधन सिंह राठौड़, शौकत, ओ.पी.भट्ट, इब्राहिम, सूरज राम, शौकत अहमद, उगमाराम, असरीन खान, देवकिशन राजपुरोहित आदि को भी सम्मानित किया। इसी प्रकार पत्रकार रियाजुद्दीन शेख, युगलेश शर्मा, संजय शर्मा, संतोष सोनी, जय माखीजा आदि सम्मानित हुए। समारोह में शिक्षा के क्षेत्र में 80 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभावान विद्यार्थियों को भी स्मृति चिह्न और प्रमाण पत्र दिए गए। 
करगिल युद्ध के संस्मरण:
समारोह का माहौल उस समय देश भक्ति पूर्ण हो गया, जब परमवीर चक्र विजेता दिगेन्द्र कुमार ने करगिल युद्ध के संस्मरण सुनाए। दिगेन्द्र ने कहा कि 12 जून 1999 को रात को उनके दल के साथियों ने तोलोलिंग पहाड़ी पर जो बहादुरी दिखई। उसी का नतीजा रहा कि करगिल में भारतीय सेना को जीत मिली। मेरे सीने में पाकिस्तान के सैनिकों की तीन गोली लगने के बाद भी अपने शरीर से बंधे हेंडगे्रनेड का पाकिस्तान की सैनिक चौकी पर फेंक दिया। इससे पाक सैनिकों में जो खलबली मची उसका असर पहाड़ी की दूसरी चौकियों पर भी हुआ। मैंने एक के बाद एक पाक चौकियों को नष्ट किया। दिगेन्द्र कुमार ने कहा कि आज लोग कहते हैं कि हम देश की खातिर जान भी दे सकते हंै, यह कथन पूरी तरह गलत है। असल में हमें तो दुश्मन की जान लेनी है। मैंने अपने सैनिक काल में 48 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा है। मुझे आज भी अवसर मिले तो मैं दो और पाकिस्तानियों को मारु ताकि मौत का आंकड़ा पचास पहुंच जाए। उन्होंने कहा कि हमारी सेना ने बहादुर जवान किसी भी जंग को जीत सकते हैं। 
एक लाख का चैक दिया:
समारोह में ट्रस्ट की ओर से ख्वाजा साहब की दरगाह के बावर्ची हुसैन खां को एक लाख का चैक दिया गया। चैक की राशि खां की बेटी अमरीन खान की उच्च शिक्षा पर खर्च होगा। अमरीन कर्नाटक में मेडिकल कॉलेज में पढ़ रही है। 
ट्रस्ट की भूमिका:
दरगाह दीवान के पुत्रऔर उत्तराधिकारी सैय्यद नसुरुद्दीन ने बताया कि अब ट्रस्ट के माध्यम से समाज में अनेक कार्य किए जाएंगे। आने वाले दिनों में देश के ताजा हालातों पर एक सेमिनार की जाएगी। शहीदों के परिजन के सम्मान का सिलसिला जारी रहेगा। समारोह का संचालन विक्रम सिंह तापड़वाल ने किया। 

(एस.पी. मित्तल)  (10-01-2016)
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