Sunday 17 January 2016

आखिर पानी के लिए अजमेर जिले को क्यों तरसाया जलदाय विभाग ने।



मरम्मत का कार्य तो ठेकेदार ने किया।
रख रखाव के 25 लाख रुपए प्रतिमाह मिलते हैं ठेकेदार को। 
सब जानते है कि अजमेर जिले भर में पेयजल का स्त्रोत बीसलपुर बांध ही है। अजमेर शहर से बीसलपुर बांध की दूरी करीब 135 किमी है। बांध से मोटे-मोटे  पाइप के जरिए शहर तक पानी आता है। अब तो शहर के अलावा ब्यावर, किशनगढ़, नसीराबाद, केकड़ी, शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र में बीसलपुर से ही पेयजल की सप्लाई होती है। इसलिए इस पानी की पाइप लाइन को अजमेर के लिए लाइफ लाइन कहा जाता है। जलदाय विभाग ने करोड़ों रुपए पानी के बड़े टेंक बनाने पर खर्च किए हैं। पानी के टेंक इसलिए बनाए गए ताकि जब कभी बांध से पानी की सप्लाई नहीं हो सके तो टेंक में जमा पानी अजमेर के नागरिकों को पिलाया जा सके, लेकिन इस जलदाय विभाग के इंजीनियरों का भ्रष्टवाड़ा और नागरिकों का दुर्भाग्य ही कहा जाए, जब कभी बांध से पेयजल की सप्लाई बाधित होती है, तब अजमेरवासी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाते हंै। भ्रष्टवाड़ा करने वाले इंजीनियरों ने 10 जनवरी के बाद से ही शोर मचाना शुरू कर दिया कि बीसलपुर की पाइप लाइन में बड़ा लीकेज है। मरम्मत की सख्त जरूरत है। इसके लिए बांध से सप्लाई को रोकना पड़ेगा। स्वाभाविक है कि अजमेरवासियों को तीन-चार दिन तक पानी नहीं मिल पाएगा। यानि समाचार पत्रों का इस्तेमाल करते हुए इंजीनियरों ने नागरिकों को मानसिक तौर पर तैयार कर लिया। ढोल-नगाड़ों के साथ प्रचारित करवाया कि केकड़ी के फिल्टर प्लांट के पास टूटी पाइप लाइन को ठीक करवाने में कम से कम 48 घंटे लगेंगे। 15 जनवरी रात से पाइप लाइन की मरम्मत का काम शुरू किया गया और 18 जनवरी को समाचार पत्रों में छपवाया कि जलदाय विभाग ने 48 घंटे की बजाय 16 घंटे में ही मरम्मत का काम पूरा कर लिया। यानि पहले तीन दिन के लिए लोगों को मानसिक रूप से तैयार किया गया फिर इस बात की शाबाशी भी ले रहे है कि हमने मात्र 16 घंटे में ही 16 सौ एमएम मोटे पाइप लाइन मरम्मत का काम पूरा कर लिया और अब अजमेरवासियों को तीन दिन तक पानी के लिए तरसना नहीं पड़ेगा। पहली बात तो यह है कि जब 16 घंटे में मरम्मत का काम पूरा हो गया है तो फिर अजमेरवासियों को पेयजल की सप्लाई नियमित क्यों नहीं की गई? क्या जलदाय विभाग के पास एक दिन का भी पानी का स्टोरेज नहीं है। यदि एक दिन का भी स्टोरेज नहीं है तो जलदाय विभाग के इंजीनियर बताए कि बड़े टेंक कहां चले गए, जिन पर करोड़ों रुपया खर्च हुआ। क्या जलदाय विभाग के इंजीनियर अजमेरवासियों को बेवकूफ समझते हैं?
दूसरी बात मरम्मत का काम करने वाले ठेकेदारों की है। भ्रष्टवाड़ा करने वाले इंजीनियर यह बताएं कि मरम्मत का कार्य जलदाय विभाग ने किया? इंजीनियरों को सफेद झूठ बोलने में थोड़ी तो शर्म आनी चाहिए। पाइप लाइन की मरम्मत का कार्य जलदाय विभाग नहीं बल्कि नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी करती है। इसकी एवज में कंपनी को प्रतिमाह करीब 25 लाख रुपयों का भुगतान किया जाता है। यानि जो काम पैसे लेकर ठेकेदारों ने किया उस काम की शाबाशी भ्रष्टवाड़ा करने वाले इंजीनियर ले रहे है। ठेकेदार को भी यह पता है कि इंजीनियरों से मरम्मत के बिल किस प्रकार से पास करवाए जाते हंै। जलदाय विभाग जिले भर में दो और तीन दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई करता है। यह सप्लाई भी मात्र एक घंटे की होती है। यानि 48 घंटे में एक घंटे पानी सप्लाई करने वाला जलदाय विभाग पाइप लाइन की मरम्मत के समय भी तीन-चार दिनों तक पानी के लिए तरसाता है। 
जनप्रतिनिधि भी खामोश :
जिले में भाजपा के सात और कांग्रेस का एक विधायक है। इन सभी विधायकों के क्षेत्र में बीसलपुर से ही पानी की सप्लाई होती है। अजमेरवासी जलदाय विभाग के इंजीनियरों के भ्रष्टवाड़े की वजह से चार दिन तक पानी के लिए तरसाते रहे और इन विधायकों ने अपनी जुबान तक नहीं खोली। जनप्रतिनिधि होने के नाते क्या इन विधायकों की अपने मतदाताओं के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है? जाहिर है कि विधायक को अपने मतदाता की परेशानी से कोई सरोकार नहीं है। जानकारों की माने तो भाजपा के विधायकों से जुड़े रिश्तेदार और परिचितों ने ही नागार्जुन कंपनी से सब ठेके ले रखे हैं। यानि भ्रष्टवाड़े में सब शामिल है। नागार्जुन कंपनी प्रतिमाह जो 25 लाख रुपए की राशि प्राप्त करती है उसमें से अधिकांश राशि राजनीति से जुड़े ठेकेदारों के बीच बांट दी जाती है। नागार्जुन कंपनी ही बीसलपुर पेयजल परियोजना में संधारण और मरम्मत आदि का कार्य करती है। कंपनी के कामकाज को लेकर केकड़ी के विधायक शत्रुघ्न गौतम पूर्व में नाराजगी जता चुके हैं। 

(एस.पी. मित्तल)  (17-01-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment