Friday 22 January 2016

रोहित की मौत पर लखनऊ में मोदी रोए पिता ने कहा हम दलित नहीं


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हैदराबाद की सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र रोहत की मौत को लेकर देश की राजनीति में उफान आया हुआ है। 22 जनवरी को लखनऊ के अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में छात्र रोहित की मौत का जिक्र करते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी इतने भावुक हो गए कि दो मिनट तक उनके मुंह से शब्द नहीं निकले। मोदी ने रोते हुए अपनी जो भावनाएं प्रकट की उससे जाहिर हो रहा था कि देश के प्रधानमंत्री इस घटना से बेहद दुखी है। यह सही है कि रोहित की मौत से मोदी का कोई सरोकार नहीं है। चूंकि सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के अधीन चलती है इसलिए वहां होने वाली घटनाओं की जवाबदेही केन्द्र सरकार की भी बनती है। सब जानते है कि यूनिवर्सिटी में कित तरह से दलगत राजनीति होती है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर खुले आम अपने पसंदीदा राजनैतिक दल में काम करते है। अनेक प्रोफेसर तो पार्टी के पदाधिकारी भी होते है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि हैदराबाद की सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी का माहौल कैसा होगा। यह सही है कि छात्र रोहित की मौत बेहद दुखद है और जिन लोगों के कृत्य से रोहित को आत्महत्या करनी पड़ी उन्हें सख्त से सजा मिलनी चाहिए। यदि इस मामले में केन्द्रीय श्रम मंत्री बंगारू भी दोषी हो तो उनके खिलाफ भी कार्यवाही हो।
एक ओर कांग्रेस सहित विपक्षी इस मामले को दलित बनाम गैर दलित बना रहे है वहीं मृतक छात्र रोहित के पिता का कहना है कि हमारा परिवार दलित नहीं है। पिता ने इस बात पर अफसोस जताया है कि मेरे बेटे की मौत पर राजनीति हो रही है। पिता ने अब तक हुई कार्यवाही पर भी संतोष जताया है और साथ ही उम्मीद की है कि गुनाहगारों को सजा मिलेगी। अब सवाल उठता है कि जब प्रधानमंत्री के आंसू आए और पिता भी संतुष्ट है तो फिर कांग्रेस और विपक्ष हंगामा क्यों कर रहे है। जिस तरह से मामले को दलित और गैर दलित में विभाजित किया जा रहा है वह देश के लिए खतरनाक है।
(एस.पी. मित्तल)  (22-01-2016)
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