Saturday 2 January 2016

आतंकियों के आगे भारत-पाक बेबस



पठानकोट के हमले में चार आतंकी और तीन जवान मरे
पीएम नरेन्द्र मोदी ने 25 दिसम्बर को अचानक लाहौर पहुंच कर पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ को जन्मदिन और उनकी नातिन के निकाह की बधाई दी। दो दिन बाद ही पाकिस्तान में आतंकियों ने बम विस्फोट किया, जिसमें अनेक लोग मारे गए। 2 जनवरी की तड़के भारत के पंजाब प्रांत के पठानकोट में स्थित एयरफोर्स बेस पर आतंकी हमला हुआ। ये आतंकी भी पाकिस्तान के बहावलपुर से आए थे। यह तो अच्छा हुआ कि आतंकी एयर बेस के उस क्षेत्र में नहीं घुसे, जहां एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर खड़े थे। हमारी सेना के जवानों ने चार से भी ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया, लेकिन हमारे भी तीन-चार जवान शहीद हो गए। अब देश में यह बहस हो रही है कि जब पाक आतंकी हमलों से बाज नहीं आ रहा है तो फिर नरेन्द्र मोदी लाहौर जाकर नवाज शरीफ को बधाई क्यों दे रहे है? खासकर विपक्षी दल भी इसे राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि जब मोदी पीएम पद के दावेदार थे तब बार-बार कहते थे कि आतंक और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते। तब सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेताओं का यही कहना था कि भारत की जो आंतरिक स्थिति है उसे देखते हुए पाकिस्तान से हर स्थिति में शांति वार्ता करनी ही पड़ेगी। अब कांग्रेस की भाषा का इस्तेमाल नरेन्द्र मोदी के मंत्री कर रहे हैं। 2 जनवरी को आतंकी हमले के बाद केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यदि हमारे जवान मुस्तैद नहीं होते तो आतंकी बड़ी वारदात करने में सफल हो जाते। असल में भारत और पाकिस्तान में सरकार किसी भी राजनीतिक दल की हो, लेकिन दोनों ही देश आतंकवादियों के सामने बेबस हैं। यह माना कि पाकिस्तान से आकर ये आतंकी भारत के हिन्दुओं को मौत के घाट उतारते है, लेकिन यह भी सच है कि यही आतंकी जब पाकिस्तान में विस्फोट करते हैं तो मुसलमान मरते हैं। असल में आतंकियों का मकसद हिन्दू और मुसलमान से नहीं है। उन्हें तो सिर्फ अपनी विचारधारा को मनवाना है। यदि उनकी कट्टरपंथी विचारधारा को नवाज शरीफ भी नहीं मानेंगे तो आतंकी उन्हें भी मौत के घाट उतार देंगे। पहले आतंकी बहुत आसानी से पाकिस्तान में विस्फोट करते थे, लेकिन अब पाकिस्तान की सीमा से लगे जम्मू-कश्मीर और पंजाब में भी बहुत आसानी से आतंकी वारदातें करने में सफल हो रहे हैं। आतंकी संगठनों के लिए भारत और पाकिस्तान अब एक समान हो गए हैं। पूरा देश देख रहा है कि पाकिस्तानी आतंकी जम्मू-कश्मीर की सीमा से ही भारत में प्रवेश करते हैं। 2 जनवरी को जिन आतंकियों ने पठानकोट के एयर फोर्स बेस पर हमला किया वो भी जम्मू-कश्मीर की सीमा से ही घुसे। सवाल उठता है कि आखिर आतंकी कश्मीर की सीमा से ही क्यों प्रवेश करते हैं? इस सवाल का जवाब उन लोगों को देना चाहिए जो कश्मीर में धारा 370 बनाए रखने के पक्ष में है। अभी हाल ही में फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि यदि कश्मीर में हिन्दू, सिक्ख, बंगाली आदि समुदाय के लोगों को भी रहने की इजाजत दे दी जाए तो कश्मीर की समस्या का समाधान हो सकता है। अफसोस की अनुपम खेर के प्रस्ताव का कट्टरपंथियों ने विरोध किया। भारत में सरकार नरेन्द्र मोदी की हो या सोनिया गांधी की। अब यह बात कोई मायने नहीं रखती कि पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। जब हम कश्मीर की सीमा से आतंकवादियों का प्रवेश ही नहीं रोक पा रहे हैं तो पाकिस्तान को क्या जवाब देंगे? हालात देखिए कि आतंकी पाकिस्तान के बहावलपुर से चलकर जम्मू-कश्मीर की सीमा में आ जाते है और फिर सेना के अधिकारी की जीप छीनकर पंजाब के पठानकोट तक पहुंच जाते है। जो लोग कश्मीर में धारा 370 को बनाए रखने के पक्ष में हैं उन्हें इस हकीकत को समझना चाहिए। सब जानते हैं कि आतंकवादी हिन्दु और मुसलमान में कोई भेद नहीं करते। जब पाकिस्तान में मानव बम से निर्दोष मुसलमान मारे जाते है तब भी आतंकी जश्न मनाते हैं और जब भारत में हिन्दु मारे जाते है तब भी आतंकियों का जश्न होता है। अब भारत के नागरिकों को यह समझना होगा कि आखिर सब मिलकर पाकिस्तान के आतंकवादियों से मुकाबला कैसे करें। यदि अब भी हिन्दु और मुसलमान का झगड़ा चलाए रखा गया तो सीरिया और ईराक से चलकर आईएस जैसा आतंकी संगठन पाकिस्तान पर कब्जा कर लेगा और फिर भारत में भी शांति नहीं रहेगी। वो बातें हवा हो गई हैं जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान में जो आतंकी कैम्प चल रहे है उन्हें हमारे लड़ाकू जहाज जाकर नष्ट कर देंगे। इसके उलट 2 जनवरी को तो पाकिस्तान के आतंकी हमारे एयरफोर्स बेस में घुस गए।
(एस.पी. मित्तल)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment