Sunday 24 January 2016

खुदा, भगवान, वाहे गुरु, ईसा मसीह क्या विद्यार्थियों की पीड़ा को सुनेंगे।



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24 जनवरी को सुबह एक महिला का फोन आया। महिला ने मुझसे कहा कि मैं आपके ब्लॉग रोजाना पढ़ती हंू और जिस तरह से मुद्दों को ब्लॉग में लिख जाता है, उससे प्रभावित होकर ही एक ज्वलंत मुद्दा बता रही हंू। महिला ने कहा कि उसका बेटा आईआईटी की परीक्षा की तैयारी कर रहा है, लेकिन उसके घर के निकट एक धार्मिक स्थल है। इस धार्मिक स्थल पर ऊंची आवाज वाला लाउड स्पीकर लगा हुआ है। दिन में कई बार जो आवाज आती है, उससे पढ़ाई में बाधा उत्पन्न होती है। महिला का यह भी कहना था कि उसके परिवार में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट लिखाए और फिर पुलिस लाउड स्पीकर को बंद करवाएं। यदि हिम्मत कर रिपोर्ट लिखा भी दी तो पुलिस में इतनी ताकत नहीं है कि वह किसी भी धार्मिक स्थल पर लगे लाउडस्पीकर को बंद करवा सके। भले ही ऐसी आवाजें रात 10 बजे बाद भी आती हों। महिला ने मुझे बताया कि फरवरी और मार्च के महीने में ही स्कूल कॉलेज की परीक्षाओं के साथ ही प्रवेश परीक्षा, प्रतियोगी परीक्षा, भर्ती परीक्षा आदि होती है। ऐसे में परिवार का एक ना एक सदस्य रात और दिन पढ़ाई के लिए मेहनत करता है। लेकिन उसका ध्यान तब भंग हो जाता है, जब किसी धार्मिक स्थल से ऊंची-ऊंची आवाजें आती हैं। सवाल किसी एक धार्मिक स्थल का नहीं है। यह सवाल सभी धार्मिक स्थलों के लिए उठता है। आज देश के हालात इतने खराब हो गए हैं कि यदि किसी मस्जिद पर लगे लाउड स्पीकर को बंद कराने के लिए कोई हिन्दू पहल करेगा तो साम्प्रदायिक तनाव तत्काल हो जाएगा। 
इसी प्रकार किसी मंदिर, गुरुद्वारे अथवा गिरजा घर पर लगे लाउडस्पीकर को बंद कराने के लिए कोई मुसलमान शिकायत करेगा तो भी हालात बिगड़ जाएंगे। यह बात अलग है कि हिन्दू और मुसलमान दोनों ही परिवारों के बच्चे एक ही किताब से पढ़ाई कर रहे हंै। पुलिस प्रशासन को भी पता है कि लाउडस्पीकर लगाकर धार्मिक आयोजन करना ध्वनि प्रसारण नियंत्रण कानून के खिलाफ है। लेकिन इस कानून की किसी को भी चिंता नहीं है। शादी ब्याह के समारोह मे तो यह कानून टूटता ही है। कई बार तो पुलिस स्टेशन के निकट बने धार्मिक स्थल की आवाजों से पुलिस भी परेशान होती है। लेकिन इसके बावजूद भी धार्मिक स्थल के लाउडस्पीकर को बंद नहीं करवाया जा सकता है। और अब तो पुराने धार्मिक स्थलों की मरम्मत कर लाउडस्पीकर लगाने की होड़ मची हुई है। इस होड़ में किसी को भी उन विद्यार्थियों की चिंता नहीं है जिनका भविष्य दांव पर लगा हुआ है। देर रात आवाजें आना और सुबह चार बजे से ही धार्मिक आयोजन को भी लाउडस्पीकर से प्रसारित किया जाता है। जो लोग खुदा, भगवान, वाहे गुरु, ईसा मसीह की शिक्षाओं पर चलने का दावा करते हैं वे धार्मिक स्थलों के लाउडस्पीकरों को बंद नहीं करवा सकते। ऐसे में खुदा, भगवान, वाहे गुरु, ईसा मसीह को ही विद्यार्थियों की मदद करनी पड़ेगी। जिस महिला ने 24 जनवरी को अपनी पीड़ा से मुझे अवगत कराया, उसमें मेरा भी यह मानना है कि धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों की आवाज कम होनी चाहिए। कम से कम फरवरी और मार्च माह में तो ऐसी आवाजों पर रोक लगनी ही चाहिए। 
(एस.पी. मित्तल)  (24-01-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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