Monday 26 October 2015

महिला परीक्षार्थियों का भी ख्याल रखे आरपीएससी राजस्थान लोक सेवा आयोग 31 अक्टूबर को


आरएएस प्री 2013 की परीक्षा प्रदेश भरा में आयोजित कर रहा है। इसमें करीब चार लाख अभ्यर्थी भाग लेंगे। इन अभ्यर्थियों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। परीक्षा में नकल को रोकने के लिए आयोग ने अनेक प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन इन प्रतिबंधों में महिलाओं का ख्याल नहीं रखा गया है। आयोग ने अपने निर्देश में कहा है कि अभ्यर्थी हाफ बांह की टी-शर्ट अथवा शर्ट पहन कर ही आएंगे, लेकिन यह नहीं बताया कि महिलाएं क्या करें। क्या महिला अभ्यर्थी को हाफ बांह का कुर्ता अथवा अन्य परिधान ही पहनकर आना है। अनेक परिवारों में लड़कियों को हाफ बांह का कुर्ता पहनने की इजाजत नहीं है। लड़कियां पूरी बांह का ही परिधान पहनती हैं। इसके अतिरिक्त आयोग ने अभ्यर्थियों को जूते-मौजे के बजाए सैंडल और चप्पल पहनकर परीक्षा केन्द्र पर आने की हिदायत दी है। मोबाइल ब्लूटूथ अथवा अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नहीं लाने की हिदायत तो सामान्य बात है। यह माना कि नकल की प्रवृत्ति को देखते हुए आयोग ने संघ लोक सेवा आयोग की मापदंडों के अनुरूप निर्णय लिया है, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि आखिर आयोग स्वयं की परीक्षा व्यवस्था को मजबूत क्यों नहीं करता? अभ्यर्थी चालाकी के साथ नकल करते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए ही प्रतिबंध पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। अच्छा हो कि आयोग परीक्षा केन्द्र पर निगरानी इतनी सख्त रखे कि परीक्षार्थी नकल ही न कर पाएं, लेकिन आयोग को अपने परीक्षा तंत्र पर ही भरोसा नहीं है। पिछले दिनों परीक्षा में नकल के जो मामले सामने आए हैं, उनमें परीक्षा केन्द्र के संचालक ही नकल करवाते पकड़े गए हैं। चाहे संघ लोक सेवा आयोग हो अथवा राजस्थान लोक सेवा आयोग दोनों यह समझ लें कि किसी भी परीक्षार्थी की हिम्मत नकल करने की नहीं होती है। परीक्षर्थी तभी नकल करता है, जब परीक्षा तंत्र में लगे लोग धनराशि लेकर नकल करवाते हैं। इसलिए आयोग को अभ्यर्थियों पर प्रतिबंध लगाने की बजाए अपने तंत्र को सुधारना चाहिए। ऐसे स्कूलों में परीक्षा केन्द्र बनाए, जहां ईमानदारी के साथ परीक्षा हो सके। यदि स्कूल का संचालक ही भ्रष्ट और बेईमान होगा तो फिर कितने भी प्रतिबंध लगा लें, नकल तो होगी ही। जहां तक परीक्षा में लगे सरकारी कर्मचारियों का सवाल है तो स्कूल के संचालक सरकारी कर्मचारियों को बहुत आसानी से खरीद सकते हैं। आयोग यह भी समझे कि 95 प्रतिशत अभ्यर्थी पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ परीक्षा देते हैं। पांच प्रतिशत अभ्यर्थियों के कारण 95 प्रतिशत अभ्यर्थियों को बेवजह तंग किया जाना उचित नहीं है। इस समय राजस्थान के आयोग के अध्यक्ष ललित के.पंवार हैं। पंवार को एक संवेदनशील अध्यक्ष माना जाता है। उम्मीद है कि पंवार 95 प्रतिशत अभ्यर्थियों का ख्याल रखते हुए परीक्षा की नीति बनाएंगे। संघ आयोग जब परीक्षा की नीति बनाता है तो उसके सामने यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि प्रांत भी होते हैं, जबकि इन प्रांतों के मुकाबले राजस्थान के हालात बहुत अच्छे है। इसलिए हमें यूपीएससी की लकीर का फकीर नहीं बनना चाहिए। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

No comments:

Post a Comment