Friday 23 October 2015

नफीस को पकडऩे पर अजमेर एसपी विकास कुमार की प्रशंसा होनी ही चाहिए।



ब्लैक मेल कांड, नशीले पदार्थ के कारोबार जैसे संगीन अपराधों में लिप्त रहे नफीस चिश्ती को जिस प्रकार पकड़ा गया है, उसमें अजमेर के एसपी विकास कुमार की प्रशंसा होनी ही चाहिए, एसपी की क्यूआरटी और स्पेशल टीम ने 22 अक्टूबर को छापामार कार्यवाही कर नफीस चिश्ती और उसके चार साथियों को क्रिकेट का सट्टा खिलाते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। पांच करोड़ 20 लाख के कारोबार के साथ 25 मोबाइल, 3 लैपटॉप, आदि सामग्री भी बरामद की गई। पुलिस द्वारा क्रिकेट का सट्टा पकडऩा सामान्य बात है, लेकिन 22 अक्टूबर को जिन हालातों में सट्टे को पकड़ा गया,वह खास महत्त्व रखता है। एसपी विकास कुमार ने नफीस को पकडऩे से पहले दो मजबूत मोर्चों पर लड़ाई लड़ी। दरगाह से जुड़े जिस क्षेत्र की पांच मंजिला बिल्डिंग पर छापामार कार्यवाही की गई, वह पन्नीग्रान पुलिस चौकी से सटी हुई है। संबंधित पुलिस को भी पता था कि नफीस बड़े पैमाने पर सट्टे का कारोबार करता है, लेकिन मिलीभगत की वजह से पुलिस कार्यवाही नहीं करती थी। एसपी ने इससे पहले भी नफीस को पकडऩे की योजना बनाई, लेकिन हर बार खबर लीक होने की वजह से नफीस बच गया। एसपी ने पहली लड़ाई अपने ही पुलिस महकमे में लड़ी और 22 अक्टूबर के छापे की खबर को ब्लैकशिप वाले पुलिस कर्मियों से छुपाए रखा। तभी एसपी की क्यूआरटी और स्पेशल टीम नफीस जैसे अपराधी को रंगे हाथों पकड़ सकी। दूसरी लड़ाई एसपी को मजबूत अपराध जगत से लडऩी पड़ी। जो लोग नफीस चिश्ती की आपराधिक पृष्ठभूमि जानते हैं, उन्हें पता है कि नफीस को पकडऩा आसान काम नहीं था। नफीस को पकडऩे में जो हिम्मत और दिलेरी चाहिए थी, वह एसपी ने दिखाई। दरगाह क्षेत्र से जुड़े पन्नीग्रान चौक के सुरक्षित स्थान से नफीस चिश्ती जैसे अपराधी को पकडऩा वाकई दिलेरी का कार्य है। इसके लिए अजमेर एसपी की प्रशंसा होनी ही चाहिए। मुझे पता है कि कुछ लोगों को मेरी यह पोस्ट पसंद नहीं आएगी, लेकिन मेरा मानना है कि जब कोई अधिकारी अच्छा कार्य करता है तो उसकी प्रशंसा भी होनी चाहिए। समय-समय पर मैंने एसपी विकास की आलोचना की है। जब मैं आलोचना कर सकता हंू तो अच्छे कार्य पर प्रशंसा भी करनी चाहिए। मेरी इस पोस्ट को इसी नजरिए से देखा जाए।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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