Sunday 4 October 2015

दादरी कांड को दिया जा रहा है साम्प्रदायिक रंग

4 अक्टूबर को यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने नोएडा के दादरी प्रकरण के मृतक अखलाक के परिजनों से मुलाकात की। मुलाकात के बाद यादव ने मीडिया से कहा कि दादरी प्रकरण में जो भी दोषी होगा, उसके विरूद्ध सख्त कार्यवाही होगी तथा अखलाक के परिजनों को पूर्ण सुरक्षा दी जाएगी। इसके साथ परिजनों को 45 लाख रुपए नकद तथा एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की। अखलाक की हत्या की जितनी भी निंदा की जाए, उतनी कम है और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी ही चाहिए। लेकिन दादरी कांड को जो साम्प्रदायिक रंग दिया जा रहा है, वह देश के लिए बेहद खतरनाक है। 4 अक्टूबर को यूपी के ताकतवर मंत्री आजम खान जिस तरीके से अखलाक के परिजनों को दादरी के बिसाहड़ा से लखनऊ लाए, उससे अनेक आशंकाएं होती हैं। हालांकि इससे पहले भी कई मंत्री घटना स्थल पर हो आए थे और खुद अखिलेश यादव ने मुआवजे और जांच की घोषणा कर दी थी। शायद ही कोई होगा, जिसने घटना की निंदा न की हो। जब पूरी यूपी सरकार मददगार थी तो आखिर किस मकसद से अखलाक के परिजनों को लखनऊ लाया गया। क्या मदद और जांच में कोई कमी थी जो गम के माहौल में आजम खान अखलाक के परिजनों को सरकारी हवाई जहाज से लखनऊ ले गए। अच्छा होता कि आजम खान बिसाहड़ा गांव में बैठ कर सद्भावना का माहौल बनाने का काम करते। घटना के बाद एक तरफा कार्यवाही से बिसाहड़ा गांव के हालात बद से बदतर हो गए है। इन हालातों को लेकर खुद गांव वालों ने चिंता प्रकट की। 4 अक्टूबर को तो गांव की महिलाओं ने भी मोर्चा संभाल लिया। महिलाओं का कहना रहा कि बाहरी लोग आकर गांव का माहौल खराब कर रहे हैं। जिस प्रकार टीवी चैनलों पर नेताओं के बयान दिखाए जा रहे हैं, उससे बिसाहड़ा गांव की छवि भी खराब हो रही है। गांव वाले अब टीवी चैनलों को खदेड़ रहे हैं। 4 अक्टूबर को आजम खान अखलाक के परिजनों को लखनऊ ले गए तो तीन अक्टूबर को एमआईएम के प्रमुख असबुद्दीन औवेसी बिसाहड़ा आए और माहौल को बिगाडऩे का काम किया। राजनेता चाहे किसी भी दल के हो, उन्हें फिलहाल बिसाहड़ा से दूर रखा जाना चाहिए, क्योंकि हर नेता अपने राजनीतिक स्वार्थ से बयान देता है।
भेदभाव न करें सरकार
यूपी सरकार को जांच के दौरान भेदभाव नहीं करना चाहिए। बिसाहड़ा में घटना वाले दिन गोली भी चली। इस गोलीकांड में राहुल यादव नाम का युवक जख्मी हुआ जो इस समय अस्पताल में भर्ती हैं। सरकार को राहुल यादव का भी ख्याल रखना चाहिए। साथ ही उन सब व्यक्तियों को सामने आना चाहिए जो हिन्दू-मुस्लिम भाई-चारे के समर्थक हैं। भाई चारे की जरूरत ऐसे नाजुक अवसरों पर ही होती है। जब हम देश की एकता और अखंडता चाहते हैं तो फिर ऐसे तत्वों को हावी नहीं होने देना चाहिए, जो माहौल बिगाडऩा चाहते हैं। स्वार्थी नेताओं की वजह से ही आज कश्मीर के हालात खराब हो गए हैं। जिन चार लाख हिन्दुओं को कश्मीर से पीट-पीट कर भगाया गया, उन्हें वापस बसाने वाला अब कोई नहीं है। भले ही जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी की सरकार चल रही हो। राजनेता तो चाहते है कि विवाद बना रहे ताकि उनके स्वार्थ पूरे होते रहें। बिसाहड़ा प्रकरण में अब तक 10 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और पुलिस की कार्यवाही लगातार जारी है। इस मामले में यूपी सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। सरकार को भी ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जिससे ऐसी घटनाएं दोबारा न हो।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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