गत एक वर्ष से धर्मेन्द्र भटनागर डीसी के पद पर रहते हुए अजमेर को स्मार्ट बनाने का डमरू बजाते रहे और पिछले कुछ दिनों से नगर निगम वाले स्मार्ट सिटी का झुनझुना बजा रहे हैं। 6 अक्टूबर को निगम परिसर में ही तमाशा हुआ। शहर को स्मार्ट बनाने के संदर्भ में वाणिज्यिक, परिवहन, चिकित्सा, न्याय आदि क्षेत्रों से जुड़े लोगों से सुझाव आमंत्रित किए गए। इसे मजाक ही कहा जाएगा कि 6 अक्टूबर को ही दैनिक समाचार पत्रों में निगम के आयुक्त ने एक सूचना छपवा कर सुझाव देने की अपील कर दी। निगम के अधिकारियों से कोई पूछे कि एक ही दिन में सुझाव देने के लिए कौन आ जाएगा? इससे पहले 5 अक्टूबर को एक प्राइवेट संस्था ने जवाहर रंगमंच पर स्मार्ट सिटी की दुकान लगाई। 6 लाख की आबादी में से मात्र 30 व्यक्ति सुझाव देने पहुंचे। इतना ही नहीं नगर निगम ने 8 अक्टूबर तक ऑनलाइन सुझाव भी मांगे हैं। निगम में इस समय भाजपा के धर्मेन्द्र गहलोत मेयर हैं और जयपुर से लेकर दिल्ली तक भाजपा का शासन है। मेयर गहलोत और अजमेर के प्रभारी मंत्री वासुदेव देवनानी में आपसी तालमेल भी अच्छा है, इसलिए विभिन्न संगठन देवनानी और गहलोत का एक साथ अभिनंदन भी कर रहे हैं। 5 अक्टूबर को भी मदारगेट स्थित चिश्ती चमन सराय के दुकानदारों ने महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिता भदेल की उपेक्षा कर देवनानी और गहलोत का ही स्वागत किया। सवाल उठता है कि जब मेयर और प्रभारी मंत्री में इतना अच्छा तालमेल है तो स्मार्ट सिटी के नाम पर तमाशा क्यों हो रहा है? क्या मेयर और मंत्री मिल कर एक संयुक्त अभियान नहीं चला सकते? क्यों अलग-अलग संस्थाओं और 5लोगों को डमरू बजाने दिया जा रहा है। आए दिन सरकारी बैठकें कर विकास का दावा करने वाले प्रभारी मंत्री देवनानी बताएंगे कि स्मार्ट सिटी पर अलग-अलग राग क्यों अलापा जा रहा है? क्या 5 और 6 अक्टूबर को हुए कार्यक्रम एक साथ नहीं हो सकते थे? क्या देवनानी प्रभारी मंत्री की हैसियत से स्मार्ट सिटी पर एक संयुक्त बैठक नहीं ले सकते है? मेयर गहलोत का कहना है कि स्मार्ट सिटी पर राज्य सरकार से कोई दिशा-निर्देश नहीं है, वहीं 6 अक्टूबर को आयुक्त की ओर से जो विज्ञापन दिया गया, उसमें कहा गया है कि भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी की परियोजना में अजमेर को शामिल कर लिया है। यानि कुल मिलाकर स्थिति स्पष्ट है ही नहीं। गत वर्ष तक धर्मेन्द्र भटनागर अजमेरवासियों को बेवकूफ बनाते रहे और अब बगैर किसी दिशा-निर्देश के स्मार्ट सिटी की कवायद की जा रही है। यह सब तब हो रहा है, जब अजमेर में दो विधायक मंत्री और सांसद सांवरलाल जाट केन्द्र सरकार में मंत्री हैं। इतना ही नहीं अजमेर से ही राज्यसभा के सांसद भूपेन्द्र यादव भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री हैं। कांग्रेस के शासन में भाजपा नेता राजनीतिक नेतृत्व का अभाव बताते रहे और अब जब राजनीतिक दृष्टि से इतनी मजबूत स्थिति है, तब स्मार्ट सिटी का मामला तमाशा बना हुआ है। जाहिर होता है कि भाजपा के नेताओं की कथनी और करनी में अंतर है। अजमेर की जनता तो यूं ही चीखती-चिल्लाती रहेंगी और अखबारों में इन्हीं नेताओं के फोटो छपते रहेंगे।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511
Tuesday, 6 October 2015
अजमेर में स्मार्ट सिटी के नाम पर हो रहा है तमाशा
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