Tuesday 6 October 2015

क्या हाईकोर्ट शेखावत को बना सकता है अजमेर का मेयर

6 अक्टूबर को राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस आलोक शर्मा ने कहा कि क्यों न सुरेन्द्र सिंह शेखावत को अजमेर का मेयर बना दिया जाए? इस सवाल का जवाब देने के लिए जस्टिस शर्मा ने वर्तमान मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, जिला निर्वाचन अधिकारी आरुषि मलिक तथा राज्य सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है। तीनों को जारी नोटिस में यह भी पूछा गया है कि क्यों न मेयर का चुनाव भी रद्द कर दिया जाए? 6 अक्टूबर को जस्टिस शर्मा की अदालत में शेखावत की याचिका पर सुनवाई हुई। शेखावत के वकील एस.के.सिंह ने कहा कि अजमेर नगर निगम के मेयर के चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह असंवैधानिक तरीके से हुई। इसमें सत्तारुढ़ पार्टी के उम्मीदवार को जितवाने के लिए अधिकारियों ने सरकारी पदों का दुरुपयोग किया। मतदान के बाद जब धर्मेन्द्र गहलोत और सुरेन्द्र सिंह शेखावत को तीस-तीस मत प्राप्त हुए, तो फिर लॉटरी के जरिए मेयर का निर्णय लिया गया। लॉटरी की पर्ची निकालने में निर्वाचन अधिकारी ने भेदभावपूर्ण काम किया। वकील ने कहा कि जब पहली बार पर्ची उठाई गई तो वह शेखावत के नाम की थी, लेकिन सत्ता के दबाव की वजह से शेखावत की पर्ची को वापस संबंधित पात्र में डाल दिया गया और बाद में गहलोत के नाम की पर्ची योजनाबद्ध तरीके से निकाली गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए ही जस्टिस शर्मा ने तीनों को नोटिस जारी कर आगामी दो सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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