रिश्वत के आरोपी मंत्री को किया बर्खास्त
दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने 9 अक्टूबर को अपने मंत्री आसिम अहमद खान को बर्खास्त कर दिया। केजरीवाल को आसिम का एक बिल्डर्स से 6 लाख रुपए रिश्वत मांगने का जो आडियो टेप प्राप्त हुआ था उसे जांच के लिए सीबीआई को भी भेज दिया है। इसकी घोषणा खुद केजरीवाल ने की है। केजरीवाल की यह पहल भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए अच्छी है। आम तौर पर राजनीति में ऐसी पहल नहीं के बराबर देखी जाती है। राजनीति में तो भ्रष्ट मंत्रियों, अधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों को आखरी दम तक बचाया जाता है। कुछ लोग केजरीवाल की इस पहल में भी खामियां निकाल रहे हैं। राजनैतिक दलों के नेताओं का ही कहना है कि केजरीवाल की यह पहल मात्र दिखावा है। जो लोग राजनीति में ईमानदारी का दावा करते हैं, उन्हें तो कम से कम केजरीवाल की पहल का स्वागत करना ही चाहिए। सरकार चलाने में केजरीवाल में कई खामियां हो सकती हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप में अपने ही मंत्री को बर्खास्त करने वाला काम हिम्मतवाला है। पूरा देश देख रहा है कि मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान की सीएम वसुन्धरा राजे पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर संसद की और दोनों राज्यों में विधानसभाएं ठप्प पड़ी हुई हैं। लेकिन फिर भी भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अपने मुख्यमंत्रियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। भाजपा भले ही अपने मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्यवाही न करे, लेकिन कमसे कम केजरीवाल की इस पहल की तो प्रशंसा करनी ही चाहिए। हो सकता है कि ऑडियो टेप के उजागर होने के डर से ही केजरीवाल ने अपने मंत्री को पद से हटा दिया हो। लेकिन इसके लिए इतना आत्मबल होना तो चाहिए। मुझे पता है कि मेरे इस ब्लॉग पर भी कुछ लोगों को ऐतराज होगा। लेकिन ऐतराज करने वालों को निष्पक्ष भाव से यह बताना चाहिए कि आखिर केजरीवाल की इस पहल में दोष क्या है? आलोचना तो हम किसी भी पहल की कर सकते हैं, लेकिन जो पहल वाकई सकारात्मक दिशा में हो, उसकी हमें प्रशंसा तो करनी ही चाहिए। चाहते तो केजरीवाल भी इस टेप को उजागर होने पर अपने मंत्री से कहलवा सकते थे कि आवाज उनकी नहीं है। अदालत में कई बरस आवाज के नमूने लेने में ही लग जाते, लेकिन बिना किसी भय और बहानेबाजी के केजरीवाल ने अपने मंत्री की छुट्टी कर दी।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511
Friday, 9 October 2015
क्यों न हो केजरीवाल की प्रशंसा।
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