Monday 5 October 2015

आखिर आजम खान इस मुल्क से चाहते क्या हंै।

यूपी के सबसे ताकतवर मंत्री आजम खान ने 5 अक्टूबर को कहा कि दादरी मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) में उठाया जाएगा। आजम का यह भी कहना रहा कि भारत में मुसलमानों के नरसंहार की योजना बनाई जा रही है। इस बहाने आजम ने केन्द्र की भाजपा सरकार पर भी हमला बोला है। आजम इससे पहले भी अपने ही देश के खिलाफ जहर उगलते रहे हैं। जहां तक दादरी प्रकरण का सवाल है, तो आजम की ही यूपी सरकार ने सख्त से सख्त कार्यवाही की है। अब तक कोई दस लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और सैकड़ों लोगों को अपराध में शामिल होना माना गया है। दादरी के बिसाहड़ा गांव के हालत बेहद तनावपूर्ण है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर आजम इस मुल्क से चाहते क्या हैं? भारत में शासन की जो संघीय व्यवस्था है, उसके अंतर्गत कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। यूपी में आजम की ही समाजवादी पार्टी की सरकार है। ऐसे में दादरी प्रकरण में विफलता की जिम्मेदारी यूपी सरकार की भी होती है।
आखिर घटना से पहले प्रशासन ने रोकथाम के इंतजाम क्यों नहीं किए। 5 अक्टूबर को जहां मृतक अखलाक के बेटे सरताज ने दादरी क्षेत्र का माहौल सुधारने का भरसक प्रयास किया तो वहीं आजम जैसे नेताओं ने देश के माहौल को बिगाडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ी। सरताज ने बार-बार कहा कि उनके पिता की मौत के मामले में सियासत न की जाए। उसने कहा कि आज भी उनकी दादी, माताजी, बहन भाई और परिवार के सदस्य बिसाहड़ा गांव में ही रह रहे है। हालांकि सरताज ने अपने पिता की हत्या पर अफसोस जताया, लेकिन साथ ही कहा कि दादरी क्षेत्र में सद्भावना बनी रहनी चाहिए। जबकि वहीं आजम जैसे नेता दादरी के मामल को यूएन में उठाने का ऐलान कर रहे हैं। इसके पीछे आजम की क्या सियासत है, यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगी,लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की तरह ही आजम व्यवहार कर रहे हैं, जिस प्रकार अलगाववादी नेता कश्मीर के मुद्दे को बार-बार यूएन में ले जाने की बात कहते हैं, उसी प्रकार आजम भी अब दादरी के मामले को यूएन में ले जा रहे हैं।
सब जानते हैं कि आजम के पत्र लिख देने से दादरी का मामला यूएन में नहीं उठेगा, लेकिन फिर भी अपने ही देश को बदनाम करने में आजम कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। आजम के इस रवैये से उन तत्वों को बल मिलेगा, जो देश की एकता और अखंडता को तोडऩा चाहते हैं। देश की हिफाजत के लिए 5 अक्टूबर को ही कश्मीर में भारतीय सेना के चार जवान शहीद हो गए। इस बात को आजम भी जानते हैं कि पाकिस्तान से घुसे आतंकवादियों ने ही हमारे चार जवानों को मौत के घाट उतार दिया। आजम बताएं कि यदि हमारे चार जवान अपना बलिदान नहीं देते तो आतंकवादी कश्मीर में घुसकर किसे मारते? आतंकवादी निर्दोष कश्मीरियों की ही हत्या करते हैं। असल में आजमखान अपने आपको मुसलमानों का सबसे बड़ा नेता साबित करना चाहते हैं। इसलिए बेतुके बयान देते रहते हैं। आज देश में हिन्दू और मुसलमानों को आपस में लड़ाने के बजाए लगातार बढ़ रहे आतंकवाद से बचाने की कोशिश करनी चाहिए। आजम भारत के मुसलमानों के लिए तो यूएन में जा रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इरान, इराक, सीरिया आदि देशों में मुसलमानों का तो कत्ले आम हो रहा है, उसके लिए यूएन में क्यों नहीं जाते? आजम माने या नहीं, लेकिन दुनिया भर का मुसलमान यह मानता है कि भारत में ही मुसलमान सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं। यदि आजम ने आतंकवाद को रोकने में सहयोग नहीं किया तो न हिन्दू बचेगा और न मुसलमान।  वर्तमान परिस्थितियों में हिन्दू और मुसलमान को मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करना चाहिए।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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