Wednesday 28 October 2015

महिला मजिस्ट्रेट की जागरुकता को भी मात दी अजमेर की गंज थाने की पुलिस ने।



राजस्थान की महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती सुमन शर्मा ने 27 अक्टूबर को दिन में अजमेर में कहा कि महिलाओं को निडर होकर पुलिस थाने में जाना चाहिए और अपनी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए। लेकिन 27 अक्टूबर की रात को ही अजमेर के गंज थाने की पुलिस ने चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट पूनम दरगन की जागरुकता को ही मात दे दी। हुआ यंू कि भाजपा के कार्यकर्ता विमल काबरा ने मजिस्ट्रेट दरगन को रात दस बजे जानकारी दी कि गंज पुलिस ने एक युवक को पिछले दो दिनों से जबरन थाने पर बैठा रखा है। काबरा ने यह भी कहा कि यदि इसी समय थाने पर जांच की जाए तो नागफणी निवासी युवक सुरेन्द्र भाट बैठा हुआ मिल जाएगा। काबरा की इस जानकारी पर मजिस्ट्रेट दरगन ने रात को ही जागरुकता दिखाते हुए गंज थाने का अचानक निरीक्षण किया। काबरा की जानकारी सही निकली और युवक सुरेन्द्र थाने में ही मिल गया। मजिस्ट्रेट के रात को साढ़े दस बजे थाने पर आने की स्थिति को देखते हुए गंज पुलिस एक बार तो शिकंजे में फंस गई। लेकिन तभी चालाक और होशियार पुलिस ने अपना पैंतरा बदला और सुरेन्द्र को चोरी का मोबाइल खरीदने का आरोपी बता दिया। मजिस्ट्रेट होने के नाते पूनम दरगन कानून से बंधी हुई थी, इसलिए पुलिस को हिदायत दी कि युवक सुरेन्द्र को नियमानुसार नोटिस दिए जाने के बाद ही थाने पर बुलाया जाना चाहिए था। दरगन ने कहा कि इस मामले में जो भी कार्यवाही की जाए वह कानून के अनुरूप हो। पुलिस ने यह नहीं बताया कि सुरेन्द्र को दो दन से थाने पर जबरन बैठा कर रखा गया है और सुरेन्द्र की वजह से ही असली मोबाइल चोर मोहम्मद यूसुफ को पकड़ा गया है। सुरेन्द्र ने पहले दिन ही बता दिया था कि मोबाइल उसके पड़ौसी भरत कुमार से लिया गया है। पुलिस तो पुलिस है। जब पीडि़त सुरेन्द्र चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट पूनम दरगन को रात साढ़े दस बजे थाने पर बुला सकता है तो फिर सुरेन्द्र को भी चोरी का मोबाइल खरीदने का आरोपी बनना ही पड़ेगा। दिन में गंज पुलिस यह मान रही थी कि इस पूरे प्रकरण में सुरेन्द्र का कोई दोष नहीं है। क्योंकि असली मोबाइल चोर तो मोहम्मद यूसुफ है। यूसुफ ने ही सेंधमारी कर शक्ति सिंह की दुकान से मोबाइल चुराए थे।  जिन भी लोगों का पुलिस से पाला पड़ा है, वे समझ सकते हैं कि आखिर दो दिनों तक युवक सुरेन्द्र को थाने पर क्यों बैठाए रखा? महिला आयोग की अध्यक्ष महिलाओं को निडर होकर थानों पर जाने की सलाह दे रही हैं, वहीं रात को ही गंज थाने की पुलिस ने चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की जागरुकता को ही मात दे दी। जब मजिस्ट्रेट के अकास्मिक निरीक्षण के बाद सुरेन्द्र बेवजह आरोपी बन सकता है, तो फिर उन लोगों का क्या होता होगा, जो बिना किसी एप्रोच के पुलिस वालों के रहमोकरम पर थाने पर बंधक रहते हैं। 27 अक्टूबर की रात को गंज थाने पर जो कुछ भी हुआ वह पुलिस की हकीकत बयां करता है। होना तो यह चाहिए था कि जिन अधिकारियों ने युवक सुरेन्द्र को दो दिनों तक थाने पर बैठाए रखा, उनके विरुद्ध कार्यवाही होती। गंज पुलिस इस सच्चाई को भी जानती है कि मोहम्मद यूसुफ को पकड़वाने में सुरेन्द्र के पिता प्रेम कुमार की सक्रिय भूमिका थी। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

2 comments:

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  2. इसलिए ही तो कहावत है कि पुलिस रस्सी को सांप बना देती है।

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