Monday 12 October 2015

क्या आपकी बिटिया नवरात्र में डांडिया खेलने जा रही है।

यूं तो नवरात्र के नौ दिनों को दुर्गामाता की अराधना के तौर पर जाना जाता है। जो लोग इन दिनों पूजा पाठ, अराधना करते हैं, उन्हें मां शक्ति प्रदान करती है, लेकिन आधुनिकता और फैशन के इस दौर में नवरात्र की ज्यादा चर्चा डांडिया से होने लगी है। गुजरात से निकलकर डांडिया अब देश के अधिकांश शहरों के गली-मोहल्लों तक पहुंच गया है। डांडिया नृत्य के आयोजन किस प्रकार हो रहे हैं, यह सब को पता है, लेकिन मेरी चिंता बेटियों के डांडिया खेलने को लेकर है। अब जब घर-परिवारों में बेटों से ज्यादा बेटियों को तवज्जों मिलती है, तब बेटियों को डांडिया खेलने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए मैंने माता-पिता के सामने यह सवाल रखा है कि क्या आपकी बेटी भी डांडिया खेलने जा रही है? मुझे पता है कि अधिकांश माता-पिता का जवाब हां में ही आएगा। अब सवाल उठता है कि बिटिया किस के साथ डांडिया खेलने जा रही है। जो बेटियां अपने माता-पिता के साथ किसी सार्वजनिक स्थल पर डांडिया खेलने जा रही है, तो यह अच्छी बात। लेकिन जो बिटिया अपने किसी रिश्तेदार परिचित अथवा मित्र के साथ डांडिया खेल रही है तो उसे सतर्कता बरतनी ही चाहिए। हम सब जानते हैं कि सार्वजनिक स्थलों पर डांडिया नृत्य के दौरान कैसा माहौल होता है। कई बार तो आयोजक लड़कों-लड़कियों के नृत्य अलग-अलग करवा देते हैं। जो माता-पिता पांडाल में बैठ कर अपनी बेटियों के डांस देखते हैं, उन्हें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि बेटी किन परिस्थितियों में डांडिया कर रही है। ऐसा न हो कि मॉर्डन मम्पी-डैडी अपने घेरे में डांडिया खेलते रहे और बेटी दूसरे घेरे में डांंडिया खेले। यह माना कि बेटियां स्वयं समझदार होती हैं,लेकिन कई बार भावनाओं में बह कर इतनी दूर चली जाती हैं, जहां से सुरक्षित लौटना मुश्किल होता है। दूर तक जाने में डांडिया जैसे आयोजन सहयोगी बनते हैं। माता-पिता को यह भी पता होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार किसी भी सार्वजनिक स्थल पर रात दस बजे बाद डीजे के जरिए डांडिया नहीं हो सकता। ऐसे में बिटिया को रात साढ़े दस बजे तक अपने घर लौट आना चाहिए। मैं बेटियों पर कोई पहरेदारी की बात नहीं कह रहा, लेकिन समाज में जिस तेजी से आधुनिकता बढ़ी है, उतनी ही तेजी से बेटियों पर खतरा भी बढ़ा है। मैं सिर्फ उस खतरे के प्रति सावचेत कर रहा हंू। अच्छा हो कि बेटियां नवरात्र में मां दुर्गा की जमकर अराधना करें और इतनी शक्ति प्राप्त करें कि समाज में जो कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार, छेड़छाड़, दहेज आदि की बुराइयां हैं उन्हें खत्म करवावें। तभी नवरात्र के मायने सार्थक होंगे।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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