ईश्वर ने मुझे सहन करने की बहुत शक्ति दी है। मैं अपनी सीमाओं से बाहर जाकर भी कई बार सहन करता रहता हूं। यह आत्मबल मेरे पास इसलिए है कि ये कभी भी ऐसा कोई कार्य नहीं करता जो गलत हो। इसलिए कई बार मेरे लेखन पर जब कड़ी आलोचना होती है तो उसे भी मैं मेरे फेसबुक अकाउन्ट पर रहने देता हूं। मुझे पता होता है कि अगले ब्लॉगों में आलोचकों का मुंह अपने आप बंद हो जाएगा। जो लोग अपने स्वार्थ अथवा मुझसे ईष्र्या रखने की वजह से आलोचना करते हैं, उसका मेरे पास कोई जवाब नहीं है। मैं पिछले कई माह में यह सुनता और देखता आ रहा हूं कि कुछ लोग मेरी पोस्ट पर से मेरा नाम और ब्लॉग हटा कर खुद का नाम अंकित कर ब्लॉग को पोस्ट कर रहे हैं। मैंने इस संबंध में वाट्सअप के ग्रुप पर भी ऐसे ब्लॉग चोरों से निवेदन किया, लेकिन मेरे इस निवेदन का कोई असर नहीं हुआ। 9 अक्टूबर को भी सरकारी स्कूलों और दिल्ली के पीएम केजरीवाल को लेकर मैंने जो ब्लॉग पोस्ट किए, उन्हें भी चुराकर अनेक लोगों ने अपने नाम से पोस्ट किया है। ऐसे ब्लॉग चोरों के खिलाफ मैं कोई कानूनी कार्यवाही करूं या नहीं, यह अलग बात है। लेकिन ऐसे ब्लॉग चोरों को अपने दिल पर हाथ रखकर मनन करना चाहिए कि क्या किसी के लेखन को चुराकर स्वयं वाह-वाही लेना शर्म की बात नहीं है। जो लेखन आपने किया ही नहीं, उस पर आप यदि शाबाशी लेते हैं तो लानत है। मैंने पहले भी लिखा है कि मैं कोई 250 वाट्सएप ग्रुप से जुड़ा हुआ हूं। इसमें राजस्थान के अधिकांश शहरों के ग्रुप हैं तथा देश के प्रमुख शहरों के ग्रुप से भी संबंध हैं। न जाने कितने स्थानों पर ब्लॉग चोरी का काम हो रहा है। मेरे ब्लॉग से मेरा नाम हटाकर पोस्ट करने पर भी मुझे कोई एतराज नहीं है क्योंकि मेरे लिए तो यह अच्छी बात है कि एक विचार और अधिक लोगों तक पहुंच रहा है। लेकिन मुझे तब पीड़ा होती है जब मेरी पोस्ट में मेरा नाम हटाकर कुछ लोग अपना नाम बेशर्मी के साथ अंकित कर देते हैं। कुछ ब्लॉग चोरों के नाम और करतूत मैंने अपने पास सुरक्षित रखे है। मैं उम्मीद करता हूं कि ऐसे नाम और करतूत उजागर करने का अवसर नहीं दिया जाएगा। समझदार को ईशारा ही काफी है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511
Saturday, 10 October 2015
ब्लॉग चोरों कुछ तो शर्म करो
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