Wednesday 21 October 2015

टीवीचैनलों का ये कैसा ग्राउंड जीरो कवरेज।



मासूमों के शव से लाइव शर्मनाक।
21 अक्टूबर को देशभर के लेागों ने टीवी न्यूज चैनलों का ग्राउंड जीरो वाला लाइव कवरेज देखा दर्शकों ने देखा कि हरियाणा के वल्लभगढ़ और फरीदाबाद के बीच नेशनल हाइवे पर दो मासूम बच्चों के शव को लेकर जो विरोध प्रदर्शन हो रहा था, उसका लाइव कवरेज हुआ। चैनलों के रिपोर्टर मासूम बच्चों के शवों के पास खड़े होकर ही घटना के बारे में जानकारी दे रहे थे। शव के पास बैठी परिवार की महिलाएं बिलख रही थी और पूरा माहौल गमगीन था, लेकिन इस माहौल के विपरित चैनलों का लाइव कवरेज हो रहा था। मासूम बच्चों के शव सफेद कपड़े में बंधे हुए बर्फ की सिल्लाओं पर रखे हुए थे। इन दृश्यों को देखकर शरीर में कंपकपी होना लाजमी था, लेकिन इस माहौल से चैनल वालों को कोईसरोकार नहीं था, उन्हें तो सिर्फ ग्राउंड जीरो में अपनी रिपोर्ट दिखानी थी।
मैं स्वयं भी लम्बे समय तक देश के प्रमुख अखबारों का रिपोर्टर रहा हंू, लेकिन ऐसी संवेदनहीनता न तो कभी की और न देखी। सवाल उठता है कि क्या चैनल के रिपोर्टर को शवों के पास खड़े होकर कवरेज करना जरूरी था। दोनों मासूम बच्चों के माता-पिता तो जख्मी हालत में अस्पताल में भर्ती हैं और जो लोग शवों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उनकी वो संवेदनशीलता हो ही नहीं सकती, जो माता-पिता की होगी। ऐसे में चैनलों को रोकने वाला कोई नहीं रहा। जहां तक सरकार का सवाल है तो सरकार इन चैनल वालों में कोई पंगा नहीं लेना चाहता। लेकिन देश की जनता को यह फैसला करना होगा कि आखिर ग्राउंड जीरो के नाम पर क्या परोसा जा रहा है। 21 अक्टूबर को क्या किसी चैनल वाले ने अस्पताल में जाकर उस मां की सुध ली, जिसके दोनों मासूम बच्चों के शव हाइवे पर तमाशा बने रहे।
राहुल का गुस्सा
21 अक्टूबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी पीडि़त परिवार से मिलने गए। जब एक पत्रकार ने राहुल गांधी के फोटो सैशन पर सवाल किया तो राहुल गांधी भड़क उठे। राहुल ने अपने आने को जायज ठहराते हुए कहा कि मैं शवों के साथ फोटो खींचाने नहीं, बल्कि गरीब परिवार की मदद करने आया हंू। राहुल गांधी राजनीतिज्ञ हैं और इस नाते राहुल गांधी का आना जरूरी भी है। इस पर किसी को नाराज होने की जरुरत नहीं है। राजनीतिज्ञ कोई भी हो, उसे अपनी राजनीति से मतलब होता है। कांग्रेस जब सत्ता में थी तो भाजपा और अन्य राजनीतिज्ञ भी ऐसी ही सियासत करते थे। राजनीतिज्ञों को इस बात से कोई सरोकार नहीं होता कि शवों की दुर्गति हो रही है। किसी भी राजनीतिज्ञ की रुचि शवों के अंतिम संस्कार में नहीं होती है। राहुल ने भी वो ही किया जो विपक्ष में रहते हुए भाजपा वाले करते थे। ऐसे विवादों से निपटने की जिम्मेदारी सत्तारुढ़ पार्टी की होती है। चूंकि हरियाणा और केन्द्र में भाजपा की सरकार है, इसलिए इस घटना से निपटने की जिम्मेदारी भी भाजपा की ही है। 
शर्मनाक घटना
हरियाणा के बल्लभगढ़ के सुनपेड़ गांव में दबंगों ने एक दलित परिवार पर जो हमला किया, वह बेहद शर्मनाक है। पेट्रोल डालकर आग लगाने से  31 वर्षीय जितेन्द्र की 10  माह की बच्ची दिव्या तथा ढाई वर्ष का पुत्र वैभव जलकर मर गए। जितेन्द्र की पत्नी रेखा झुलसी अवस्था में मौत से संघर्ष कर रही है, हालांकि हरियाणा सरकार ने इस मामले में आठ पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया है तथा चार आरोपियों को गिरफ्तर कर लिया गया है।  अब परिवार वालों की मांग पर सीबीआई जांच की सिफारिश भी कर दी है। सरकार का कहना है कि यह जातीय संघर्ष नहीं है, बल्कि दो परिवारों का आपसी विवाद है। आरोपी परिवार के तीन जनों की गत वर्ष हत्या हो चुकी है। (एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

No comments:

Post a Comment