यूपी के नोएडा जिले के दादरी गांव में इन दिनों साम्प्रदायिक तनाव बना हुआ है। आरोप है कि एक भीड़ ने 53 वर्षीय अखलाक नामक व्यक्ति की इसलिए हत्या कर दी कि उसके घर में गाय का मांस पक रहा था। चूंकि अखलाक का कत्ल हुआ है, इसलिए जहरीली भाषा बोलने वाले सांसद ओसुबुद्दीन औबेसी भी 2 अक्टूबर को दादरी पहुंच गए। अखलाक के कत्ल के जवाब में कोई तर्क नहीं दिया जा सकता है, लेकिन अखलाक के कत्ल से यह मांग तेज होनी चाहिए कि सरकार गौ मांस के निर्यात पर रोक क्यों नहीं लगाती है। कुछ लोग किसी घर में गौ मांस के पकने की अफवाह से किसी की हत्या कर देते हैं तो दूसरी ओर रोजाना सैकड़ों टन गाय का मांस भारत से विदेशों में निर्यात किया जाता है। जब देश में कांग्रेस का शासन रहा, तब अनेक हिन्दूवादी और धार्मिक संगठन गौ-मांस के निर्यात पर रोक लगाने के लिए जन आंदोलन करते रहे, तब भाजपा के नेताओं का यह कहना था कि हमारी सरकार बनने पर गौ मांस के निर्यात पर रोक लग जाएगी। देश में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार को सत्ता में डेढ़ वर्ष पूरे हो गए, लेकिन आज तक भी गौमांस के निर्यात पर रोक नहीं लगी है। जिस देश में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है, उसी देश में गाय के मांस का निर्यात होना बेहद ही शर्मनाक है। जब कुछ लोग गौ मांस पकने की अफवाह से किसी की हत्या कर देते हैं, तब क्या हमारे ही देश के उन व्यक्तियों के खिलाफ गुस्सा नहीं आना चाहिए जो सरकार से लाइसेंस लेकर पहले जिन्दा गाय की हत्या करते हैं और फिर उसके मांस को विदेशों में भेजते हैं। आखिर वह कौन लोग हैं जो गौ मांस का व्यापार करते हैं, ऐसे लोगों को बेनकाब किया जाना चाहिए। जहां तक अपराधियों का सवाल है तो अपराध करने वालों की कोईजाति और धर्म नहीं होता। 20 वर्ष पहले मुम्बई में लोकल ट्रेन में जो बम विस्फोट हुए, उसमें 188 निर्दोष लोग मारे गए और करीब 1 हजार यात्री जख्मी हुए। इसमें नवीद खान, कमल अंसारी, आसिफ खान और फजत शेख को दोषी मानते हुए फांसी की सजा दी गई है। दादरी के प्रकरण में भी पुलिस ने अभी तक 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511
Friday, 2 October 2015
अखलाक के कत्ल के बजाए गौ मांस के निर्यात पर रोक लगे
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