Sunday 18 October 2015

अब क्या फर्क है धारीवाल के एकल पट्टा और वसुंधरा के खान आवंटन घोटाले में

राजस्थान की भाजपा सरकार ने  601 खान आवंटन निरस्त कर दिए है। अब सवाल उठता है कि गत कांग्रेस सरकार के नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के एकल पट्टा घोटाले और सीएम वसुंधरा राजे के खान आवंटन घोटाले में क्या फर्क है? धारीवाल के घोटाले में तत्कालीन उपसचिव निष्काम दिवाकर जेल में है तो वसुंधरा के खान आवंटन घोटाले में खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी जेल में पड़े है। वसुंधरा राजे के इशारे पर उछलकूद करने वाली एसीबी कांग्रेस के शांति धारीवाल को गिरफ्तार करना चाहती है। यही एसीबी धारीवाल को गिरफ्तार करती है तो क्या वसुंधरा राजे को भी गिरफ्तार किया जाएगा? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है कि एकल पट्टा घोटाले में शांति धारीवाल ने नगरीय विकास मंत्री की हैसियत से हस्ताक्षर किए तो खान आवंटन घोटाले में खान मंत्री की हैसियत से वसुंधरा राजे के आदेश है। फर्क इतना ही है कि धारीवाल के घोटाले की जांच वसुंधरा की एसीबी कर रही है जबकि खान आवंटन घोटाले की जांच का काम वसुंधरा राजे ने लोकायुक्त को दिया है। सब जानते है कि राजस्थान का लोकायुक्त कैसे काम करता है। लोकायुक्त के पास भ्रष्टाचार के गंभीर से गंभीर मामले है, लेकिन आज तक भी लोकायुक्त के माध्यम से एक भी भ्रष्टाचारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई है। लोकायुक्त तो सरकार के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का काम करते है। मैं यह बात पूरे विश्वास के साथ कह रहा हूं कि खान आवंटन की जांच लोकायुक्त कार्यालय तब तक करता रहेगा जब तक वसुंधरा सरकार का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा ना हो जाए। देखा जाए तो धारीवाल के एकल पट्टा घोटाले से भी बढ़ा वसुंधरा का खान आवंटन घोटाला है। धारीवाल के घोटाले में जो पट्टा जारी किया उसे निरस्त भी कर दिया गया यानि जमीन का नियमन नहीं हो सका जबकि वसुंधरा के खान आवंटन घोटाले में तो खान कार्य भी शुरू हो गया है। पूरा प्रदेश जानता है कि वर्ष 2014 में जब केन्द्र सरकार नई खनन नीति जारी करने वाली थी तब राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार ने पहले आओ पहले पाओ की नीति के तहत 600 से ज्यादा खानों का आवंटन कर दिया। यह घोटाला इसलिए किया कि केन्द्र सरकार की नई नीति में आवंटन का प्रावधान ही समाप्त हो रहा था। यानि खानों का आवंटन नहीं नीलामी होगी।
वंडर और श्री सीमेन्ट का क्या हुआ :
वसुंधरा राजे ने खान मंत्री की हैसियत से मार्बल किंग अशोक पाटनी की वंडर सीमेन्ट, ब्यावर की श्री सीमेन्ट, लफार्ज सीमेन्ट सहित चार सीमेन्ट कंपनियों को ही सैकड़ो बीघा जमीन आवंटित की थी। सरकार ने जिन 601 आवंटनों को निरस्त किया है उससे अभी यह पता नहीं चला है कि उक्त चार बड़ी सीमेन्ट कंपनियां शामिल है या नहीं। सरकार की ओर से भी अभी तक इन चारों कंपनियों के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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