इवेन्ट कम्पनी ढो रही महात्मा की स्मृतियों को
भले ही महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा मिला हुआ हो लेकिन वर्तमान दौर में महात्मा गांधी को जानने के बारे में युवाओं की कोई रूचि नजर नहीं आती है। 17 अक्तूम्बर को महात्मा की स्मृतियां नामक एक प्रदर्शनी अजमेर पहुंची। प्रदर्शनी के रथ को सुबह स्थानीय राजकीय सावित्री गल्र्स कॉलेज के बाहर खड़ा किया गया और शाम को गांधी भवन परिसर में ही प्रदर्शनी रखी गई। लेकिन निर्धारित समय में प्रदर्शनी सूनी ही पड़ी रही। चूंकि यह प्रदर्शनी केन्द्र सरकार के सहयोग से देशव्यापी भ्रमण कर रही है इसलिए गल्र्स कॉलेज की शिक्षिकाओं ने कुछ छात्राओं को जबरन प्रदर्शनी देखने के लिए भेजा। गांधी भवन परिसर में तो शाम के वक्त दो-चार व्यक्ति ही प्रदर्शनी देखने आए थे। ये लोग भी वो थे तो गांधी भवन की लाइब्रेरी में अखबार पढऩे आए थे। हालांकि कांग्रेस महात्मा गांधी की दुहाई देकर ही 50-55 वर्ष सत्ता में रही, लेकिन 17 अक्तूम्बर को कांग्रेस के कार्यकता भी महात्मा गांधी की प्रदर्शनी को देखने के लिए नहीं आए। ऐसा नहीं कि प्रदर्शनी के प्रचार-प्रसार में कोई कसर छोड़ी गई हो। सरकर के जनसम्पर्क विभाग की और से पिछले एक सप्ताह में लगातार प्रेस नोट दैनिक समाचार पत्रों में छप रहे थे।
लाखों का खर्च:
भले ही युवा वर्ग महात्मा गांधी को जानने में कोई रूचि न दिखा रहा हो, लेकिन सरकार की ओर से इस प्रदर्शनी पर लाखों रुपया खर्च किया गया है। केन्द्र सरकार ने प्रदर्शनी के देशभर में भ्रमण के लिए दिल्ली की इवेन्ट कम्पनी विशक्राफ्ट को ठेका दिया है। इस कंपनी में 15 अधिकारी और कर्मचारी लगातार साथ चल रहे हैं। एक बड़े ट्रक में प्रदर्शनी लगाई गई है और एक वातानुकूलित बस भी कर्मचारियों और अधिकारियों को साथ लेकर चल रही है। ये दोनों बड़े वाहन दो अक्तूबर को पोरबन्दर से रवाना हुए और अब देशभर का भ्रमण करते हुए 29 अक्तूबर को दिल्ली पहुंचेंगे। दिल्ली में प्रदर्शनी के समापन पर एक भव्य समारोह आयोजित किया गया है। इस समारोह में पीएम नरेन्द्र मोदी भाग लेंगे। यानि सरकार ने अपनी ओर से महात्मा गांधी की प्रदर्शनी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन फिर भी आम लोगों में रूचि नजर नहीं आई। केन्द्र सरकारी की ओर से विशक्राफ्ट कम्पनी को लाखों रुपए का भुगतान किया जाएगा। चूंकि महात्मा गांधी की स्मृतियों को एक इवेन्ट कम्पनी ढो रही है, इसलिए किसी भी शहर में सरकारी सुविधाओं की जरूरत भी नहीं होती है। प्रदर्शनी के साथ चल रहे 15 व्यक्ति भी कम्पनी के खर्चे पर ही होटलों में ठहरते हैं यानि इस प्रदर्शनी का सभी प्रकार का खर्चा इवेन्ट कम्पनी वहन कर रही है। सरकार से कम्पनी को ठेके की शर्तों के अनुरूप भुगतान मिलेगा।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511
Saturday, 17 October 2015
गांधीजी को जानने में युवाओं की कोई रूचि नहीं।
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