Friday 11 March 2016

ऐसे होता है मीडिया पर विज्ञापनों का असर। श्रीश्री पर मोदी के साथ आए केजरीवाल।


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टीवी न्यूज चैनलों की निष्पक्षता को लेकर राजनेता अक्सर टिप्पणी करते हैं। अब सोशल मीडिया का जमाना है। इसीलिए नाराज दर्शक भी मीडिया पर अपनी भड़ास निकालता है। कई बार आम दर्शक के मन में यह सवाल आता है कि आखिर विज्ञापनों का मीडिया पर कितना और कैसे असर होता है? ऐसे दर्शकों के सामने मैं आम आदमी पार्टी की दिल्ली की सरकार का एक सटीक और ताजा उदाहरण प्रस्तुत कर रहा हूं। जो लोग चैनलों पर न्यूज देखते हैं उन्होंने देखा होगा कि इन दिनों अरविन्द केजरीवाल की आवाज में दिल्ली सरकार का एक विज्ञापन प्रसारित हो रहा है। इस लम्बे विज्ञापन में केजरीवाल सरकार की उपलब्धियों का बखान किया गया है। इस विज्ञापन का खासियत यह है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं बल्कि केजरीवाल की सरकार का संबोधन है। यानी पार्टी में बड़े हैं अरविन्द केजरीवाल। अब चूंकि यह विज्ञापन है इसीलिए केजरीवाल की ओर से कुछ भी प्रसारित करवाया जा सकता है। सब जानते हैं कि केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राजनीतिक हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। दिल्ली में यदि सफाई कर्मचारियों की हड़ताल होतीहै तो उसका जिम्मेदार भी नरेन्द्र को बताया जाता है। मीडिया भी मोदी और केजरीवाल के बीच के विवाद को भड़काने में कोई असर नहीं छोड़ता। लेकिन दर्शकों ने देखा होगा कि आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर के कार्यक्रम के बारे में केजरीवाल ने एक शब्द भी नहीं कहा। उल्टे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से लेकर मीडिया तथा अन्य मंचों पर कार्यक्रम की सराहना की गई। जबकि श्रीश्री के कार्यक्रम को नरेन्द्र मोदी की सरकार का ही समर्थन है। अब सवाल उठता है कि आखिर न्यूज चैनल वाले केजरीवाल के श्रीश्री के कार्यक्रम को लेकर सवाल जवाब क्यों नहीं करते? असल में केजरवाल को भी यह पता था कि श्रीश्री के कार्यक्रम को लेकर मीडिया दिल्ली सरकार को भी कटघरे में खड़ा करेगा। यही वजह रही कि श्रीश्री के कार्यक्रम में पहले ही न्यूज चैनलों पर केजरीवाल सरकार की उपलब्धियों के बड़े-बड़े विज्ञापन जारी करवा दिए। जो चैनल केजरीवाल के विज्ञापन प्रसारित कर कई करोड़ रुपया प्राप्त कर रहे हैं आखिर वे केजरीवाल और नरेन्द्र मोदी के विवाद पर क्यों नहीं बोलेंगे? यदि इन दिनों केजरीवाल सरकार के विज्ञापन प्रसारित नहीं होते तो श्रीश्री के कार्यक्रम पर केजरीवाल की चुप्पी पर चैनल वाले धरती आसमान एक कर देते। भले ही केजरीवाल खामोश रहते, लेकिन प्रेस कांफ्रेंस, उपर वाला देय रहा है, आपकी अदालत, सीधी टक्कर, आमने-सामने जैसे कार्यक्रमों में केजरीवाल को बुलाकर कुछ ना कुछ तो कहलवा ही लेते। लेकिन विज्ञापनों के असर की वजह से चैनल वाले केजरीवाल की खामोशी पर कोई शोरगुल नहीं कर रहे हैं।
(एस.पी. मित्तल)  (11-03-2016)
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