Saturday 5 March 2016

आखिर कश्मीरियों के लिए क्या चाहती हैं महबूबा


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जम्मू कश्मीर में भाजपा के साथ सरकार बनाने को लेकर पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती का 5 मार्च को जो बयान सामने आया है, उसमें महबूबा ने कहा है कि कश्मीरियों का मकसद पूरा होने पर ही सरकार बनाई जाएगी। महबूबा ने कहा कि उनके पिता मुफ्ती  मोहम्मद सईद ने भाजपा के साथ जो गठबंधन किया उसके पीछे भी कश्मीरियों के सपनों को पूरा करना था। मैं यदि जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री बनती हूं तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी, लेकिन मेरा मुख्यमंत्री बनना तभी सफल होगा, जब मैं कश्मीरियों की अपेक्षाओं पर खरा उतरूं। यदि मैं कश्मीरियों के सपने को पूरा नहीं करती हूं तो फिर सरकार बनाने से कोई फायदा नहीं है। अपने बयान में महबूबा ने यह नहीं बताया कि आखिर कश्मीरी आवाम को वे क्या देना चाहती है और कश्मीरी आवाम उनसे क्या चाहता है। मालूम हो कि मुफ्ती मोहम्मद सईद ने गत वर्ष भाजपा के साथ मिलकर पीडीपी की सरकार बनाई थी, लेकिन दो माह पहले सईद का निधन हो गया। उम्मीद थी कि पिता के निधन के बाद महबूबा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी, लेकिन महबूबा ने सीएम पद संभालने के  बजाय सीएम आवास को ही खाली कर दिया ताकि भाजपा को यह बताया जा सके कि सरकार बनाने अथवा मुख्यमंत्री बनने की महबूबा को कोई जल्दी नहीं है। अभी तक भाजपा ने भी यह स्पष्ट नहीं किया है कि महबूबा ने सीएम बनने के लिए कौनसी शर्त रखी है। कश्मीर में धारा 370 नहीं हटाने का आश्वासन भाजपा पहले ही दे चुकी है। इसी प्रकार कश्मीर में पीट-पीट कर भगाए गए चार लाख हिन्दुओं को वापस बसाने के मामले में भी भाजपा खामोश है। माना जा रहा है कि सेना के पास पूछताछ के लिए जो विशेषाधिकार है उस कानून को कश्मीर में खत्म करने के लिए महबूबा का दबाव है। महबूबा कश्मीर के मुद्दे पर अलगाववादियों से वार्ता करने की भी पक्षधर है। इतना ही नहीं महबूबा इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता भी चाहती हैं। भारत के जो आंतरिक हालात है उसमें अब कश्मीर भी बड़ा मुद्दा बन गया है। आज जेएनयू में जो बवेला मचा हुआ है उसके पीछेे भी कश्मीर की आजादी का मुद्दा है। पुलिस की जांच में भी यह बात सामने आई है कि 9 फरवरी को आतंकी अफजल गुरु और कश्मीर की आजादी को लेकर जो नारे लगे उसमें कशमीरी युवक शामिल थे। अभी तक भी ऐसे कश्मीरी युवकों की पहचान नहीं हुई है। अब देखना है कि भाजपा की रूचि कश्मीर में सरकार बनाने की है या फिर जेएनयू में कश्मीर की आजादी के नारे लगाने वाले कश्मीरी युवकों को गिरफ्तार करने में है।
 (एस.पी. मित्तल)  (05-03-2016)
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