Thursday 17 March 2016

अवैध बनी हुई है होटल अजमेर इन अदालत में नगर निगम ने कहा


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बहुचर्चित होटल अजमेर इन को तोडऩे और सीज करने के मामले में 17 मार्च को स्थानीय सिविल न्यायिक मजिस्ट्रेट (उत्तर) सुश्री पूर्वा चतुर्वेदी के समक्ष सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान नगर निगम ने कहा कि होटल अजमेर इन का दो मंजिल का निर्माण पूरी तरह अवैध है। निगम ने 15 मार्च को हाईकोर्ट के आदेशों के मद्देनजर होटल अजमेर इन की मालिक श्रीमती सुधा राठौड़ को नोटिस दिया था। इस नोटिस में कहा गया कि आगामी 21 मार्च को होटल के अवैध निर्माण को सीज किया जाएगा। श्रीमती राठौड़ ने निगम के इस नोटिस को सिविल अदालत में चुनौती दी जिस पर 17 मार्च को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान श्रीमती राठौड़ के वकील दिलीप शर्मा ने कहा कि होटल का तीन मंजिल का नक्शा स्वीकृत है तथा जिस निर्माण को निगम अवैध मान रहा है, उसे राज्य सरकार के नियमों के तहत जुर्माना लेकर स्वीकृत किया जा रहा है। अदालत से आग्रह किया कि निगम के सीज वाले नोटिस पर रोक लगाई जाए। इसके जवाब में निगम के अधिकारी प्रकाश डूडी और वकील सी.पी.शर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट ने जिन 490 अवैध निर्माण पर कार्यवाही करने के आदेश दे रखे है, उसमें श्रीमती सुधा राठौड़ का होटल भी शामिल है। डूडी व शर्मा ने माना कि निगम ने तीन मंजिल का नक्शा स्वीकृत किया है, लेकिन मौके पर पांच मंजिल का निर्माण हो रखा है। इतना ही नहीं आम रास्ते और नाले पर कब्जा कर सड़क बनाई है। हाईकोर्ट के आदेश में स्पष्ट है कि जुर्माना लेकर जो अवैध निर्माण स्वीकृत किए जाए उसे भी पहले सीज किया जाए। इसलिए होटल को सीज करने की कार्यवाही की जा रही है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद मजिस्ट्रेट चतुर्वेदी ने 18 मार्च तक के लिए अपना निर्णय सुरक्षित रखा है।
नरचल ने पेश की अर्जी :
हाईकोर्ट में जनहित याचिका प्रस्तुत कर अवैध निर्माण के विरुद्ध आदेश करवाने में जागरुक नागरिक रवि नरचल ने आदेश 1 नियम 10 में प्रार्थनापत्र पेश किया। इस प्रार्थना पत्र में नरचल ने कहा कि सिविल अदालत को होटल अजमेर इन के मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं है। प्रार्थना पत्र में कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेशों की पालना नहीं करने को लेकर अवमानना याचिका भी प्रस्तुत की जा चुकी है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश मित्तल और मोहम्मद रफीक की खंडपीठ ने अजमेर नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, उपायुक्त सीमा शर्मा तथा पूर्व आयुक्त एच.गुइटे को नोटिस भी जारी किया है। जब अवैध निर्माण के सभी मामले में हाईकोर्ट में अवमानना का मामला विचाराधीन हो तब इसी सिविल अदालत को ऐसे मामले में सुनवाई करने का अधिकार नहीं था। प्रार्थना पत्र में नरचल ने स्वयं को इस मामले में पक्षकार बनाने का आग्रह किया है। इस प्रार्थना पत्र पर भी 18 मार्च को ही निर्णय होगा।  
एस.पी. मित्तल)  (17-03-2016)
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