Wednesday 9 March 2016

भारत की बैंकों को कंगाल करने वाले विजय माल्या का विदेशी भाग जाना सरकार के लिए अच्छा नहीं।


9 मार्च को पीएम नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में कहा कि पिछले दो वर्षों में सरकार ने करोड़ों रुपए की बचत की है। तेल और गैस उत्पादों से सब्सिडी खत्म की तो ई-टेंडर कर सरकार के राजस्व को बढ़ाया। वहीं 9 मार्च को ही देश के अटोर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि भारत की बैंकों से कई हजार करोड़ का लोन लेने वाले उद्योगपति विजय माल्या गत 2 मार्च को ही भारत छोड़ चुके हैं। अटोर्नी जनरल ने यह बात बैंकों के प्रार्थना पत्र के जवाब में कही। बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि विजय माल्या के विदेश भाग जाने पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट कोई रोक लगाता, इससे पहले ही अटोर्नी जनरल ने कह दिया कि माल्या तो भाग चुके हैं, यानि बैंकों का प्रार्थना पत्र बेकार हो गया। 
एक तरफ पीएम मोदी सरकार के राजस्व को बढ़ाने की बात कहते हैं, तो दूसरी और कई हजार करोड़ का लोन न चुकाने वाले विजय माल्या देश से भाग जाते हैं। सब जानते हैं कि बैंकों का पैसा देश की आम जनता का होता है। छोटे बड़े बचतकर्ता बैंकों में जो राशि जमा कराते हैं उसी को बैंकें लोन के रूप में उद्योगपतियों को देते हैं। अब यह साफ हो गया है कि माल्या ने निर्धारित तिथियों पर लोन नहीं चुकाया है। शर्मनाक बात तो यह है कि माल्या का कहना है कि देश में मेरे जैसे अनेक उद्योगपति हैं, जो बैंकों का लोन नहीं चुका रहे हैं, लेकिन सरकार सिर्फ मेरे खिलाफ ही काम करने की कार्यवाही कर रही है। यानि माल्या चोरी और सीनाजोरी वाली कहावत को चरितर्थ कर रहे है। अब सवाल उठता है कि जब माल्या विदेश भाग गए हैं तो फिर करोड़ों रुपए के लोन की वसूली कैसे होगी। अकेले आईडीबीआई बैंक ने ही 300 करोड़ रुपए का लोन माल्या को दे रखा है। सीबीआई की जांच को माने तो पहले बैंक ने लोन देने से मना कर दिया था, लेकिन बाद में ऊपर के दबाव की वजह से सिर्फ एक माह में तीन सौ करोड़ रुपए का लोन दे दिया गया। गंभीर बात तो यह है कि इस लोन की राशि को माल्या ने विदेशों में भिजवा दिया। 
विदेश में माल्या ने जो जायदाद खरीदी अब उसी में जाकर ऐशोआराम करेंगे। समझ में नहीं आता कि सरकार कैसा कानून बनाती है। एक किसान से लाख-दो लाख की वसूली के लिए उसकी जमीन को नीलाम कर दिया जाता है। तो दूसरी ओर माल्या जैसे उद्योगपतियों को विदेश जाने की छूट दे दी जाती है। स्वयं बैंकें मानती हैं कि माल्या की भारत में जो सम्पत्ति है वह लोन राशि के मुकाबले बेहद कम है। ऐसे में यदि सम्पत्तियों को बेचा भी गया तो लोन की वसूली नहीं हो पाएगी। 
ऐशोआराम की जिन्दगी:
पूरा देश जानता है कि विजय माल्या ने ऐशोआराम और अय्याशी की जिन्दगी व्यतीत की है। अद्र्धनग्न लड़कियों के साथ समुन्द्र किनारे मौज मस्ती करने के माल्या के फोटो अक्सर समाचार पत्रों में छपते रहे हैं। इतना ही नहीं किंगफिशर शराब के कलेंडर भी अश्लील ही होते हैं। अश्लील कैलेंडरों के फोटो शूट करने के लिए माल्या खुद जवान लड़कियों  के साथ खड़े रहते थे। क्या भारत के आम आदमी के मन में यह सवाल नहीं उठेगा कि जो व्यक्ति अय्यास प्रवृत्ति का है, उसे बैंक लोन किस प्रकार से दे रही थी। यदि विजय माल्या जैसा व्यक्ति लोन न चुकान के बाद भारत से भाग जाए तो फिर सरकार एक गरीब किसान की जमीन को नीलाम क्यों करती है? पीएम नरेन्द्र मोदी जब गरीबों के हमदर्द बनते हैं तो उन्हें विजय माल्या के विदेश भाग जाने पर भी अपना बयान देना चाहिए। यदि देश में गरीब और अमीर के बीच के भेदभाव को समाप्त नहीं किया गया तो नरेन्द्र मोदी के सारे प्रयास विफल हो जाएंगे। 

 (एस.पी. मित्तल)  (09-03-2016)
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