Wednesday 9 March 2016

पांच करोड़ का जुर्माना लगाकर श्रीश्री रवि शंकर के कार्यक्रम को अनुमति दी। आखिर जुर्माना क्यों?


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9 मार्च को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पांच करोड़ रुपए का जुर्माना लगाकर भारत के आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रवि शंकर के आयोजन को अनुमति दे दी है। श्रीश्री के आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से 11, 12 व 13 मार्च को दिल्ली में यमुना नदी के किनारे विश्व सांस्कृतिक उत्सव होना है। इस उत्सव में 100 देशों से भी ज्यादा के प्रतिनिधि भाग लेंगे। तीन दिन में कोई 35 लाख लोग शरीक होंगे। आयोजन को लेकर एनजीटी में एक अर्जी दाखिल की गई, जिसमें आयोजन को पर्यावरण के खिलाफ बताया गया। 9 मार्च को लम्बी बहस के बाद एनजीटी ने आयोजन की अनुमति तो दे दी, लेकिन साथ ही पांच करोड़ का जुर्माना लगा दिया। सवाल उठता है कि क्या किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम पर जुर्माना लगाया जा सकता है। यह माना कि श्रीश्री समर्थ हैं और जुर्माना भी अदा कर देंगे। लेकिन यह गलत परंपरा की शुरुआत हुई है। जब पूरा आयोजन श्रीश्री अपने स्तर पर कर रहे हैं और आयोजन के बाद पर्यावरण के लिए 1 लाख पेड़ युमना नदी के किनारे लगाए जाएंगे तो फिर पर्यावरण बिगाडऩे के नाम पर पांच करोड़ का जुर्माना क्यों लगाया गया है। देश में ऐसे कई आयोजन होते हैं जो खुलेआम कायदे कानून को तोड़ते हैं, लेकिन ऐसे आयोजन को रोकने अथवा जुर्माना लगाने की हिम्मत सरकार की नहीं होती है।  श्रीश्री कोई राष्ट्र विरोधी अथवा देश की सम्पदा को नुकसान करने वाला कार्यक्रम नहीं कर रहे है। श्रीश्री तो भारत की संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए विश्वस्तरीय आयोजन कर रहे है। श्रीश्री के आयोजन से तो युमना साफ हो रही है। जिस स्थान पर कार्यकम हो रहा है, वहां गंदगी से भरा हुआ था। एनजीटी को तो श्रीश्री को पुरस्कार देना चाहिए था, क्योंकि आयोजन से कई किलोमीटर तक युमना नदी साफ सुथरी और सुन्दर हो गई है। श्रीश्री पर जुर्माना दुर्भाग्य पूर्ण माना जाएगा। भले ही जुर्माना लगा हो लेकिन इस निर्णय से श्रीश्री को राहत मिल गई है। अब बिना किसी झंझट से श्रीश्री अपना आयोजन कर सकेंगे। 

 (एस.पी. मित्तल)  (09-03-2016)
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