Wednesday 9 March 2016

तो अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को उनके घर में ही चित किया।


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7  मार्च को मैंने एक ब्लॉग पोस्ट किया था। इस ब्लॉग में राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत का कथन था कि सीएम का फैसला कांग्रेस हाईकमान करेगा। अगले दिन 8 मार्च को प्रदेश के सभी प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों ने इसी आशय की खबरें प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित की। इसको लेकर प्रदेश की कांग्रेस की राजनीति अचानक गरमा गई। विगत दिनों ही वरिष्ठ नेता विश्वेन्द्र सिंह ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक में प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व को लेकर अशोक गहलोत तक का हाथ उठवाया था। तब यह कहा गया कि 10 साल तक सीएम रहने वाले गहलोत की इतनी दयनीय स्थिति हो गई है कि उन्हें भी पायलट के लिए हाथ उठाकर अपना समर्थना देना पड़ रहा है। ऐसी खबरों के बीच ही गहलोत ने 7 मार्च को अजमेर में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया और हाईकमान की बात कहकर पायलट को चारों खाने चित कर दिया। जानकारों की माने तो गहलोत ने एक सोची समझी राजनीति के तहत अजमेर में बयान दिया। असल में अजमेर को पायलट का गृहजिला कहा जाता है। पायलट ने वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव अजमेर से ही जीता, लेकिन वर्ष 2014 में पायलट अजमेर से हार गए। गहलोत ने जिस तरह अजमेर में राजनीतिक हमला किया, उसी से अब यह माना जा रहा है कि गहलोत ने पायलट को उनके घर में ही चित किया है। गहलोत ने जिस तरह सचिन पायलट के नेतृत्व पर सवालियां निशान लगाया, उससे विश्वेन्द्र सिंह सरीखे नेता नाराज हैं। सिंह ने एक बयान जारी कर गहलोत के अजमेर वाले कथन पर नाराजगी और दु:ख प्रकट किया है। कांग्रेस के सूत्रों की माने तो गहलोत ने अजमेर में जो बयान दिया है, उसकी आवाज दूर तक जाएगी। पायलट ने हाल ही में प्रदेश संगठन और जिला स्तर पर अध्यक्षों की जो घोषणा की है, उसमें कहा जा रहा है कि गहलोत के समर्थकों की पूरी तरह उपेक्षा हुई है। पायलट ने अपने समर्थकों की फौज खड़ी की है। पायलट ने अजमेर शहर और देहात के अध्यक्ष भी बदले हैं। शहर के विजय जैन और देहात के भूपेन्द्र सिंह राठौड़ ऐसे अध्यक्ष हैं जो पायलट अंध भक्त हैं। पायलट के रहमो करम पर अध्यक्ष अथवा अन्य पदों पर विराजमान हुए कांग्रेस के नेता कहने लगे थे कि राजस्थान के अगले सीएम पायलट ही बनेंगे, लेकिन गहलोत ने हाईकमान की बात कहकर फिलहाल पायलट समर्थकों का मुंह बंद कर दिया है। गहलोत ने ऐसा बयान दिया है जिसका खंडन स्वयं पायलट भी नहीं कर सकते हैं। कांग्रेस में शुरू से ही यह पंरपरा रही है कि सीएम का फैसला दिल्ली से ही होता है। गहलोत ने तो पायलट और उनके समर्थकों को सिर्फ कांग्रेस की परंपरा से अवगत कराया है। 
 (एस.पी. मित्तल)  (09-03-2016)
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