Wednesday 2 March 2016

रेलवे बोर्ड के नियमों के विरूद्ध अजमेर के रेलवे अस्पताल में डॉक्टरी कर रहे हैं प्रदीप जैन।


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रेलवे बोर्ड के नियमों की धज्जियां उड़ाकर 58 वर्षीय डॉ. प्रदीप जैन अजमेर के रेलवे अस्पताल में अनुबंध के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। रेलवे बोर्ड के नियम है कि अनुबंध के आधार पर 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले डॉक्टर को नहीं रखा जा सकता है। इस संबंध में आरटीआई के माध्यम से जो दस्तावेज हासिल किए गए हैं उसमें भी यह बात सामने आई हे कि रेलवे बोर्ड ने 50 वर्ष उम्र की पाबंदी लगा रखी है, लेकिन इसके विपरित डॉ. प्रदीप कुमार जैन 58 वर्ष की उम्र होने पर भी अजमेर के रेलवे अस्पताल में फिजिशियन के पद पर कार्यरत हैं। रेलवे की ओर से डॉ. जैन को प्रतिमाह 65 हजार रुपए का वेतन मिलता है। जानकारों की माने तो अजमेर के कुछ प्राइवेट अस्पतालों के मालिकों की वजह से ही डॉ. जैन रेलवे अस्पताल में नियम विरूद्ध नियुक्त हैं। असल में जैन की सिफारिश से ही रेलवे अस्पताल में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए रेफर किया जाता है। इसके लिए डॉ.जैन को यह लिखना पड़ता है कि इस मरीज का इलाज रेलवे अस्पताल में संभव नहीं है। इसलिए रेलवे से जुड़े प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाया जाए। यानि बीमार रेल कर्मचारी का इलाज प्राइवेट अस्पताल में होने पर भी रेलवे खर्चा उठाएगी। रेलवे अस्पताल के मरीज ज्यादा से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल आ जाए, इसलिए प्राइवेट अस्पतालों के मालिक डॉ. प्रदीप जैन को रेलवे अस्पताल में ही बनाए रखे हुए है। यह अलग बात है कि अपने डॉक्टरी के अनुभव में डॉ. जैन हर मरीज के रेफर को न्यायोचित बताते है, लेकिन यदि उच्च स्तरीय जांच हो तो रेलवे के चिकित्साधिकारियों और प्राइवेट अस्पतालों के मालिकों के बीच सांठगांठ की पोल खुल सकती हैं। यदि इस मामले की जांच रेलवे का विजलेंस विभाग भी करें तो करोड़ों का घोटाला सामने आ सकता है। इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि प्रतिवर्ष प्राइवेट अस्पतालों को रेलवे कितने करोड़ रुपए का भुगतान करता है।
 (एस.पी. मित्तल)  (02-03-2016)
(spmittal.blogspot.inM-09829071511

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