Tuesday 8 March 2016

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बजट में मंत्रियों एवं विधायकों से ज्यादा अजमेर कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक की सुनी।


--------------------------
8 मार्च को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान विधानसभा में जो वार्षिक बजट पेश किया उसमें अजमेर जिले से संबंधित छोटी-छोटी घोषणाएं भी की। इन घोषणाओं को देखकर लगता है कि राजे ने मंत्रियों, विधायकों के मुकाबले अजमेर की जिला कलेक्टर डॉ आरुषि मलिक के सुझावों पर ज्यादा अमल किया है। पिछले दिनों सीएम राजे ने यहां एक पांच सितारा सुविधायुक्त होटल में अजमेर के सभी भाजपा विधायकों, स्थानीय निकायों के अध्यक्षों आदि की बैठक की। मंत्री की हैसियत से इस बैठक में वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल ने भी भाग लिया। इस बैठक का उद्देश्य अजमेर में जन प्रतिनिधियों से सुझाव आमंत्रित करना था ताकि बजट में शामिल किया जा सके। अजमेर के मंत्री और विधायक खुश हो जाएं इसके लिए मुख्यमंत्री ने उनके सुझावों को नोट भी किया। 8 मार्च को बजट की घोषणा के बाद अजमेर के भाजपा नेताओं के यह समझ में आ गया होगा कि मुख्यमंत्री उनके सुझावों पर कितना अमल करती हैं। बजट में मंत्रियों और विधायकों के सुझावों को न केवल दरकिनार किया गया बल्कि जिला कलेक्टर डॉ आरुषि मलिक के सुझाव पर प्रभावी तरीके से अमल भी किया गया। अजमेर के भाजपा नेता अच्छी तरह जानते है कि मुख्यमंत्री ने जब अजमेर का दौरा किया था तब जिला न्यायालय के सामने स्थित पुराने आईटी सेल को भी देखा था। इस अवलोकन में सिर्फ जिला कलेक्टर मलिक ही उनके साथ थी। आईटी सेल शिक्षा विभाग के अधीन आता है, लेकिन राजे शिक्षा मंत्री देवनानी को भी अपने साथ नहीं लाईं, तब कलेक्टर ने सुझाव दिया था कि इस आईटी सेल में जो पुरानी ऐतिहासिक फिल्मे पड़ी हैं उनका संरक्षण किया जाए। बजट घोषणा में राजे ने पुरानी फिल्मों के संरक्षण के लिए 2 करोड़ रुपए की घोषणा की है। भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष और एमडीएस यूनिवर्सिटी के वाणिज्य संकाय के अध्यक्ष प्रो बीपी सारस्वत खुश हो सकते है कि उनके कौशल विकास और प्रबंधन के फार्मुले को राजस्थान भर में लागू करने की घोषणा बजट में की गई है। यह बात अलग है कि ऐसी घोषणा सीएम राजे पहले ही कर चुकी है। तथा राज्य सरकार की सिफारिश पर यूनिवर्सिटी के चांसलर और गवर्नर कल्याण सिंह ने भी पहले ही सभी यूनिवर्सिटीज में अजमेर की तरह कौशल विकास और प्रबंधन के केन्द्र खोलने के निर्देश दिए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि सारस्वत ने इस केन्द्र के माध्यम से सैकड़ों युवाओं खासकर महिलाओं को भी आत्म निर्भर बताया। वैसे भी विद्यार्थियों को पढ़ाई की डिग्री के साथ-साथ स्वरोजगार के कार्य में भी कुशल होना चाहिए। जहां तक अजमेर के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सौ सीटे बढ़ाने का सवाल है, तो यह घोषणा भी पूर्व में ही हो चुकी है। विधिविज्ञान प्रयोगशाला के विस्तार, तीन आरओबी का निर्माण, मॉडल ऑपरेशन थियेटर, मंदिरों का विकास, फॉयसागर, सुभाष बाग और चन्दबदराई के सार्वजनिक पार्कों के विकास की घोषणाएं ऐसी हैं, जिन्हें स्थानीय प्रशासन के द्वारा ही किया जाना चाहिए। चित्रकला विद्यालय का स्वरूप अभी सामने नहीं आया है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बजट में अजेमर जिले के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई है। स्मार्ट सिटी की प्रतियोगिता में भी पिछड़ जाने से अजमेर के लोग पहले ही निराश थे और अब बजट ने निराशा को और बढ़ा दिया है। 
फुस्स है राजनीतिक ताकत:
दिखाने को तो अजमेर जिले के आठ में से 7 भाजपा के विधायक हैं। इनमें से दो विधायक वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल मंत्री हैं तथा पुष्कर के सुरेश रावत संसदीय सचिव हैं। इसके साथ ही अजमेर के औंकार सिंह लखावत को राज्य मंत्री का दर्जा मिला हुआ है। इतना ही नहीं अजमरे के ही राज्य सभा सांसद भूपेन्द्र सिंह यादव भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री हैं। नगर निगम, जिला परिषद, एडीए आदि सभी संस्थानों पर भाजपा का कब्जा है। इतना सब कुछ होने के बाद भी बजट में अजमेर को कुछ भी नहीं मिला है। ऐसा प्रतीत होता है कि सत्तारुढ़ राजनेताओं की ताकत मुख्यमंत्री राजे के सामने फुस्स है। अफसोसनाक बात तो यह है कि इसके बावजूद भी भाजपा के नेता बजट को अजमेर के लिए उपयोगी बता रहे हैं। 

 (एस.पी. मित्तल)  (08-03-2016)
(spmittal.blogspot.inM-09829071511

No comments:

Post a Comment