Saturday 26 March 2016

हरीश रावत तो खरीद-फरोख्त के उस्ताद रहे हैं। ताजा स्टिंग क्या मायने रखता है।


शर्म आनी चाहिए ऐसे राजनेताओं को।
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26 मार्च को देशभर के चैनलों पर एक स्टिंग ऑपरेशन की सीडी चली। इस सीडी में उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत कांग्रेस के बागी विधायकों के नेता हरक सिंह रावत से मोबाइल फोन पर बात कर रहे हैं। इसमें हरीश रावत का कहना है कि बागी विधायकों को मंत्री पद तो दिया ही जाएगा साथ ही 15 करोड़ रुपए नकद भी देंगे। यानि जो विधायक भाजपा के पास चले गए हैं वे कुछ भी लेकर वापस आ जाए ताकि हरीश रावत उत्तराखंड के सीएम बने रहे। इस सीडी के प्रसारण के बाद हरीश रावत ने कहा कि सीडी में जिस पत्रकार को दिखाया गया है उसके बारे में देहरादून के लोग अच्छी तरह जानते है। यह पत्रकार ब्लैकमेलिंग का ही काम करता है। हो सकता है कि हरीश रावत सही कह रहे हों, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर इस ब्लैकमेलर पत्रकार के कहने पर सरकार का जहाज लेकर इच्छित स्थान पर हरीश राव क्यों आए? जब इस पत्रकार ने हरीश रावत को बातचीत के लिए बुलाया था तब क्या हरीश रावत को पत्रकार की ब्लैकमेलिंग की प्रवृत्ति के बारे में पता नहीं था? असल में हरीश रावत उत्तराखंड का सीएम बने रहने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। यही वजह रही कि जब पत्रकार ने स्टिंग का जाल बिछाया तो हरीश रावत उसमें फंस गए। रावत ने यह भी नहीं सोचा कि जो हरक सिंह रावत भाजपा के पाले में बैठा है वह समझौते की बात किस प्रकार करेगा। जिस पत्रकार को हरीश रावत ब्लैकमेलर बता रहे है उसी पत्रकार के जरिए भाजपा ने हरीश रावत को फांसा है। वैसे भी हरीश रावत तो खरीद फरोख्त के पुराने उस्ताद हैं। वर्ष 2012 में जब सोनिया गांधी के दबाव से विजय बहुगुणा को सीएम बनाया गया, तब भी रावत ने खुला विरोध किया था। 2 वर्ष बाद ही कांग्रेस विधायकों को खरीद कर सोनिया गांधी के सामने ले जाकर खड़ा कर दिया। फलस्वरूप विजय बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को सीएम बनाया गया। हरीश रावत को यह अच्छी तरह पता है कि उनके पार्टी के विधायक किस प्रकार से बिक जाते हैं। एक विधायक कोई 2 लाख मतदाताओं का नेतृत्व करता है। यदि ऐसे विधायक 15-15 करोड़ और मंत्री पद में बिक रहे हैं तो फिर राजनेताओं को शर्म आनी चाहिए। उत्तराखंड में जिस तरह विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही है उससे राजनीति शर्मसार हो गई है।
विजय बहुगुणा भी कूदे मैदान में :
चूंकि हरीश रावत विजय बहुगुणा को धक्का देकर ही सीएम बने, इसलिए 26 मार्च को बहुगुणा ने भी रावत पर हमला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिस बोल्ड अंदाज में बहुगुणा ने प्रेस कांफे्रंस की, उससे लगा कि अब हरीश रावत को सोनिया गांधी और राहुल गांधी का भी समर्थन नहीं है। बहुगुणा ने दो टूक शब्दों में कहा कि यदि वे सीएम होते तो ऐसी परिस्थितियों में इस्तीफा दे देते और स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच की मांग करते। अभी भी रावत को चाहिए कि वे इस्तीफा देकर राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग करें। असल में बहुगुणा के माध्यम से कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह उत्तराखंड में खरीद-फरोख्त से हरीश रावत को टिकाए रखने के पक्ष में नहीं है।
भाजपा विधायकों का भी डर :
भले ही कांग्रेस में बगावत हुई हो लेकिन भाजपा को भी अपने विधायकों से डर है इसलिए सभी 27 भाजपा विधायकों को एक साथ जयपुर में रखा गया है। चूंकि राजस्थान में भाजपा की ही सरकार है इसलिए यहां पर विधायकों को सुरक्षित माना जा रहा है। भाजपा के बड़े नेता यह जानते है कि हरीश रावत उनके विधायकों को भी लालच देकर अपनी ओर आकर्षित कर सकते है। यदि भाजपा विधायकों के बिकने का डर नहीं होता तो होली जैसे पर्व पर विधायकों को उत्तराखंड में ही रखा जाता। उत्तराखंड की भूमि को देव भूमि कहा जाता है, लेकिन इस देवभूमि को विधायकों ने कलंकित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
राज्यपाल की भूमिका :
जिस तरह से विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले सामने आ रहे हैं उससे उत्तराखंड के राज्यपाल की भूमिका को लेकर भी सवाल उठा है। जानकारों के अनुसार 28 मार्च तक का समय देकर राज्यपाल ने खरीद-फरोख्त के काम को बढ़ावा ही दिया है। यहीं वजह है कि अब 28 मार्च को विधानसभा में घमासान होने की उम्मीद है। यह भी हो सकता है कि हरीश रावत मंत्रीमंडल की बैठक बुलाकर राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग करें।
(एस.पी. मित्तल)  (26-03-2016)
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