Tuesday 1 March 2016

लेखनी का सम्मान।



28 फरवरी को अजमेर जिले के ब्यावर शहर के निकट नीलकंठ महादेव तीर्थ स्थल के महोत्सव के समापन समारोह में हजारों श्रद्धालुओं के साथ मैंने भी भाग लिया। मैं वाट्सएप पर ब्यावर के करीब 25 ग्रुप से जुड़ा हुआ हंू। यानि मैं जो ब्लॉग पोस्ट करता हंू उसे ब्यावर में हजारों लोग पढ़ते हैं, यही वजह रही कि जब मैं समारोह में पहुंचा तो अनेक लोगों ने मेरे ब्लॉग की प्रशंसा की। समारोह में मुझसे जो भी मिला,उसने ब्लॉग पढऩे की बात कही। एक कलम घसीट के लिए इससे ज्यादा कोई सम्मान की बात नहीं हो सकती कि उसके लिखे को आम व्यक्ति पढ़े। समारोह में साधु संतों, बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों के साथ-साथ मेरा भी सम्मान किया गया। असल में यह मेरा सम्मान नहीं बल्कि मेरे लेखन का सम्मान हैं। ब्यावर युवा मोर्चे के अध्यक्ष मनीष बुरड़ को भी जब यह पता चला कि मैं ब्यावर आया हूं तो उन्होंने भी अपनी पूरी टीम के साथ मेरा मान सम्मान किया। 28 फरवरी को जिस तरह ब्यावर के लोगों ने मेरे प्रति स्नेह दिखाया, उससे मैं अभिभूत हंू। मैं यह ब्लॉग कोई आत्म प्रशंसा में नहीं लिख रहा। मैं बेहद संवेदनशील इंसान हंू। जब कभी मेरे लेखन की आलोचना होती है तो उसका असर भी मुझ पर पड़ता है। इसी प्रकार जब मेरे लेखन का सम्मान होता है तो उसका असर भी मेरे मस्तिष्क पर होता है। लिखने वाले ऐसे बहुत से लोग होंगे जो प्रतिक्रियाओं का इंतजार ही करते रहते हैं, लेकिन ईश्वर की कृपा है कि मेरे ब्लॉग पर सोशल मीडिया पर प्रतिदिन अनेक प्रतिक्रियाएं प्राप्त होती हैं। मुझे अजमेर जिले से ही नहीं बल्कि राजस्थान और देशभर से प्रतिक्रियाएं आती हैं तथा अनेक लोग दूरदराज से टेलीफोन कर अपनी भावनाओं से अवगत कराते हैं। इस मौके पर ब्यावर के पाठकों केसाथ-साथ देशभर के पाठकों का आभार प्रकट करना चाहता हंू। मुझे उम्मीद है कि पाठकों का स्नेह इसी तरह बना रहेगा। 

 (एस.पी. मित्तल)  (28-02-2016)
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