Tuesday 1 March 2016

आखिर नरेन्द्र मोदी हर बार सर्विस टैक्स क्यों बढ़ाते हैं।



अरुण जेटली ने कहा अमीर से छीनकर गरीब को देंगे राहत।
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मैं कोई अर्थशास्त्री नहीं हंू और न ही कोई अमीर व्यक्ति। एक आम आदमी के नाते बजट के बड़े प्रावधानों का असर भी मेरे जैसे करोड़ों नागरिकों पर नहीं पड़ता है। देश की 80 प्रतिशत आबादी मेरी जैसी ही है, लेकिन जिस तरह से घर में सुख सुविधा में इजाफा हुआ है, उस पर भी हर बार नरेन्द्र मोदी की सरकार टैक्स बढ़ा देती है। पिछले दो वर्षों में मोदी सरकार ने करीब दो प्रतिशत सर्विस टैक्स बढ़ा दिया है। संसद में 29 फरवरी को भले ही अरुण जेटली ने बजट पेश किया हो, लेकिन बजट को नरेन्द्र मोदी का ही माना जाता है। सर्विस टैक्स 14.5 से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिए जाने से घर में काम आने वाली सभी वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। यह माना कि आधा प्रतिशत सर्विस टैक्स बढ़ाने से कोई ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा। लेकिन आज देश का हर नागरिक किसी न किसी रूप में सर्विस टैक्स चुकाता है। यानि भले ही आधा प्रतिशत सर्विस टैक्स बढ़ाया गया है, लेकिन इस टैक्स का बोझ हर नागरिका पर पड़ेगा। मध्यम वर्गीय परिवार के सभी सदस्यों के पास मोबाइल है, जबकि बीपीएल परिवार में भी दो तीन मोबाइल मिल ही जाएंगे। हर घर में टीवी पर डीटीएच कनेक्शन, बिजली, पानी आदि के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी हैं, जिन पर सर्विस टैक्स लगता ही है। एक ओर सरकार कहती है कि बीपीएल परिवार को स्वास्थ्य बीमा देकर राहत दी जा रही है तो वहीं सर्विस टैक्स लगाकर प्रीमियम की राशि जबरन वसूली जा रही है। केन्द्रीय वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि 75 लाख अमीर उपभोक्ताओं ने रसोई गैस की सब्सिडी छोड़ दी है। मैं यहां यह बताना चाहता हंू कि यूपीए सरकार के समय में  करीब 300 रुपए एक सिलेंडर पर सब्सिडी दी जाती थी, लेकिन तेल कीमतों में भारी गिरावट के बाद अब मात्र 136 रुपए की सब्सिडी दी जा रही है। यानि 75 लाख उपभोक्ताओं को तो सब्सिडी दी ही नहीं जा रही है और जिन्हें दी जा रही है वह यूपीए सरकार के मुकाबले आधी से भी कम हो गई है। यानि अकेले रसोई गैस से सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व की आय हुई है। इसी प्रकार पेट्रोल और डीजल के मूल्य में भी गिरावट से सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई है। सवाल उठता है कि जब मोदी सरकार को यूपीए सरकार के मुकाबले ज्यादा प्राप्ति हो रही है तो फिर हर बार सर्विस टैक्स में वृद्धि क्यों की जा रही है? जेटली का दावा है कि अमीरों से छीनकर गरीबों को राहत दी जा रही है। कार, सिगरेट, तम्बाकू विदेश यात्रा आदि को महंगा कर सरकार ने अमीरों से छीनने का काम किया है। लेकिन सर्विस टैक्स बढ़ाकर गरीब से गरीब व्यक्ति को भी सरकार ने छोड़ा नहीं है। आयकर की सीमा में वृद्धि भी नहीं की गई है। ऐसे में नौकरी पेशा व्यक्ति को भी कोईराहत नहीं मिल पाई है। सरकार का दावा है कि सड़क, रेल, और हवाई मार्ग को एक ईकाई मानकर विस्तार किया जाएगा। सरकार का यह निर्णय अच्छा है। इसके साथ ही आधार कार्ड को भी प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया है कि सरकारी मदद लेने के लिए अब आधार कार्ड अनिवार्य होगा। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सरकार के बजट से आम नागरिक को कोई राहत नहीं मिली है। 

 (एस.पी. मित्तल)  (29-02-2016)
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