Friday 4 March 2016

वाहनों का फिटनेस करने वाली निजी कम्पनियों को क्या परिवहन मंत्री युनूफ खान का संरक्षण है?

प्रदेश भर में वाहन मालिक हो रहे हैं परेशान। कम्प्यूटराइज्ड नम्बर प्लेट में पहले ही हो रही है लूट।
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राजस्थान के जिन दुपहिया और चौपहिया वाहनों के मालिकों ने कम्प्यूटराईज्ड नम्बर प्लेट लगवाई है उन्हें पता है कि निजी फर्म के मालिकों ने किस प्रकार लूट मचा रखी है। दुपहिया वाहनों की प्लेट के लिए 75 रुपए के बजाए 500 रुपए तथा चौपहिया की प्लेट के 220 रुपए के बजाए 1500 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। शर्मनाक बात तो यह है कि डीटीओ से लेकर परिवहन मंत्री के स्तर तक पीडि़तों की सुनने वाला कोई नहीं है। प्रदेश भर के डीटीओ का तो कहना है कि नम्बर प्लेट लगाने वाली फर्म का चयन परिवहन मंत्री के स्तर पर हुआ है। ऐसे में इन कम्पनियों के खिलाफ हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं।
नम्बर प्लेट लगाने का काम निजी कम्पनियों को गत कांग्रेस के शासन में दिया गया था। भाजपा के शासन में उम्मीद थी कि इस लूट से राहत मिलेगी। लेकिन अब भाजपा सरकार के परिवहन मंत्री युनूस खान भी कांग्रेस सरकार के परिवहन मंत्री की तरह ही काम कर रहे हैं। कांग्रेस के मंत्री ने नम्बर प्लेट का काम निजी कम्पनी को दिया तो भाजपा के परिवहन मंत्री ने वाहनों की फिटनेस जांचने का काम निजी कम्पनियों को दे दिया है। 31 मार्च से पहले-पहले जिला मुख्यालयों पर निजी कम्पनियां फिटनेस जांचने की मशीनें लगा लेंगी। अब तक फिटनेस जांच का काम मान्यता प्राप्त एजेन्सियां ही करती थी। लेकिन अब युनूस खान ने जिला मुख्यालय पर सिर्फ एक निजी कम्पनी को जांच का अधिकार दिया है। कहा जा रहा है कि प्रदेश भर में जिन भी कम्पनियों को यह काम मिला है, उन सब पर युनूस खान की मेहरबानी है? जो लूट नम्बर प्लेट लगाने में हो रही है वैसी ही फिटनेस जांच में भी होने लगी है। सरकार ने 230 रुपए शुल्क निर्धारित किया है लेकिन वाहन मालिकों से निर्धारित शुल्क से कई गुना ज्यादा वसूला जा रहा है। जो मालिक अधिक शुल्क देने से इंकार करता है उसे कमियां निकाल कर परेशान किया जाता है।
कैसे होगा तेल का संरक्षण:
तेल संरक्षण के लिए सरकार करोड़ों रुपया विज्ञापन पर खर्च कर रही है। लेकिन राजस्थान में भाजपा सरकार के परिवहन मंत्री युनूस खान ने फिटनेस जांच की जो योजना लागू की है उससे डीजल और पैट्रोल की बर्बादी होगी। उदाहरण के लिए अजमेर को ही लिया जाए। अजमेर जिले में ब्यावर, किशनगढ़ और केकड़ी उपखंड में भी यातायात कार्यालय बने हुए हैं। अब तक वाहनों की फिटनेस जांच उपखंड स्तर पर ही हो रही थी। लेकिन परिवहन मंत्री के फरमान के बाद अब किशनगढ़, ब्यावर, केकड़ी आदि उपखंडों के वाहनों को भी अजमेर स्थित रोडवेज की माखुपुरा कार्यशाला में आकर वाहनों की जांच करवानी होगी। अजमेर शहर से केकड़ी की दूरी कोई 80 किलोमीटर, ब्यावर की 60 तथा किशनगढ़ की 30 किलोमीटर है। यानि अब वाहन मालिकों को 30 से लेकर 80 किलोमीटर की डबल दूरी तय कर वाहन की फिटनेस करवानी होगी।
ऑल इंडिया गुड्स ट्रांस्र्पोटेशन एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने वाहनों की फिटनेस की जो योजना लागू की है वह पूरी तरह दोषपूर्ण और भ्रष्टाचार से भरी है। सरकार को फिटनेस जांच का काम उपखंड स्तर पर ही करवाना चाहिए। इससे सबसे ज्यादा परेशानी व्यावसायिक वाहन मालिकों को उठानी होगी। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि निजी कम्पनियां निर्धारित शुल्क ही वसूल करे। ऐसा न हो कि जिस प्रकार नम्बर प्लेट लगाने में लूट हो रही है, वैसी ही लूट फिटनेस जांच में भी हो जाए। निजी कम्पनियों पर सरकार का पूरी तरह नियंत्रण होना चाहिए। सरकार ने फिटनेस जांच की अभी जो योजना लागू की है उससे प्रदेश भर के वाहन मालिकों में रोष व्याप्त है।
ड्राईविंग सिखाने में भी हुई थी लूट:
कांग्रेस के शासन में वाहन चलाना सिखाने वाली फर्मों को जबरन 7-7 लाख रुपए की मशीनें खरीदवाई गई। जिन प्रशिक्षण केन्द्रों के मालिकों ने मशीन नहीं खरीदी उनके केन्द्र के लाइसेंस निरस्त कर दिए। आज ऐसी मशीनें प्रशिक्षण केन्द्रों के कबाड़ में पड़ी हुई हैं। आरोप है कि मशीन बेचने वाली कम्पनी से कांग्रेस सरकार के नेताओं ने मोटी रकम वसूल ली। प्रदेश वासियों को आशंका है कि इस बार भी वाहनों की फिटनेस जांच के लिए बड़ी संख्या में मशीनों की बिक्री हो रही है।
(एस.पी. मित्तल)  (04-03-2016)
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