Friday 6 April 2018

अफसर बेटों की मां वृद्धा आश्रम में रहने को मजबूर।

अफसर बेटों की मां वृद्धा आश्रम में रहने को मजबूर।
आखिर किधर जा रहा है हमारा समाज।
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6 अप्रैल को दैनिक भास्कर के अजमेर संस्करण में पृष्ठ 2 पर संवाददाता अतुल बाघ की एक मर्मस्पर्शी स्टोरी प्रकाशित हुई है। इस स्टोरी को पढ़ने के बाद मेरे मन में उन दोनों अफसर बेटों के बारे में जानकारी लेने की इच्छा हुई, जिन्होंने अपनी 80 वर्षीय मां कौशल्या देवी टांक को अजमेर लोहागल रोड स्थित मां माधुरी बृजवारिस सेवा सदन अपना घर में छोड़ दिया। यह सेवा सदन सरकारी बिल्डिंग में चल रहा है और सदन के लोग इधर-उधर से दान एकत्रित कर यहां रहने वाले बेसहारा वृद्धों को दोनों वक्त भोजन खिलाते हैं तथा अल्पसुविधाएं भी जुटाते हैं। सदन से जुड़े भाजपा के वरिष्ठ नेता और सोशल वर्कर सोमरत्न आर्य ने बताया कि यहां अधिकांश बुजुर्ग महिला एवं पुरुषों को सड़कों से लावारिस और बीमार हालत में लाया गया है। ऐसे लोग भी हैं जिनके परिवार वालों का कोई पता नहीं है या फिर मर गए हैं, लेकिन सेवा सदन में आने के बाद सभी की सेवा अच्छी तरह की जाती है। मुझे बताया गया कि सेवा सदन में रह रही कौशल्या देवी टांक का बड़ा पुत्र तेजकरण टांक अजमेर में ही रोडवेज बस स्टैंड पर चीफ मैनेजर के पद पर कार्यरत है। टांक ही गत 17 फरवरी को एक माह के लिए मां को सदन में छोड़ कर गए थे, तब कहा था कि परिवार वाले बाहर जा रहे हैं, इसलिए एक माह तक मां को सदन में रखें। आज 6 अप्रैल हो गई और कौशल्या देवी अभी भी आश्रम में ही हैं। मैंने मोबाइल नम्बर 9549653175 पर रोडवेज के चीफ मैनेजर तेजकरण टांक से बात की तो टांक का कहना रहा कि अभी वे बहुत व्यस्त हैं। इसलिए इस मुद्दे पर बात नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही टांक ने फोन काट दिया। मैंने कौशल्या देवी के दूसरे बेटे बीएसएनएल के एसडीओ निर्मल कुमार टांक के मोबाइल नम्बर 9413395335 पर संवाद किया तो बात ही नहीं हो सकी।
पति की पेंशन भी मिलती हैः
80 वर्ष की उम्र में कौशल्या देवी को अनेक परेशानियां हैं। यही वजह है कि आश्रम के कर्मचारी ही स्नान आदि करवाते हैं  और कपड़े भी बदलते हैं। कौशल्या देवी का कहना है कि उसके पति हैडमास्टर थे। मृत्यु के बाद उसे पेंशन भी मिलती है। कौशल्या को इस बात का अफसोस है कि अपना मकान और दो अफसर बेटों के होते हुए भी वृद्धा आश्रम में रहना पड़ रहा है।
आखिर किधर जा रहा है समाजः
मुझे नहीं पता कि तेजकरण टांक और निर्मल टांक के परिवार के हालात कैसे हैं, जिसमें एक वृद्ध मां को भी नहीं रखा जा सकता है। हो सकता है कि दोनों अफसर बेटों के परिवार में मां की समस्या से भी बड़ी समस्या हो, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर हमारा समाज किधर जा रहा है। असल में अनेक लोगों ने अपने सामने बड़ी-बड़ी समस्याएं खड़ी कर लेते हैं, जिनकी वजह से जन्म देने वाली मां की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। दो बेटों के बीच एक मां का रख रखाव भी नहीं हो पा रहा है।

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