अजमेर की दरगाह के मुकदमे के बाद अब हैदराबाद की मक्का मस्जिद ब्लास्ट के मुकदमे में भी स्वामी असीमानंद बरी। तब भगवा आतंकवाद का मुद्दा उछला था।
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16 अप्रैल को हैदराबाद की एनआईए कोर्ट ने मक्का मस्जिद ब्लास्ट के मुकदमे में स्वामी असीमानंद सहित सभी पांच आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इससे पहले स्वामी असीमानंद को अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में हुए ब्लास्ट के मुकदमे में भी बरी किया जा चुका है। मक्का मस्जिद में हुए ब्लास्ट में 6 लोगों की मौत तथा 58 जख्मी हुए थे। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जांच एजेंसी किसी भी आरोपी के खिलाफ सबूत पेश नहीं कर सकी। यह मामला वर्ष 2007 का है। तब तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने देश में भगवा आतंकवाद पनपने की बात कही थी। केन्द्रीय मंत्री रहे पी चिदम्बरम और शिवराज पाटिल ने भी ऐसे ही बयान दिए थे। फैसले के बाद तत्कालीन केन्द्रीय गृह सचिव आरवीएस मणि ने चैंकाने वाला बयान दिया है। मणि का कहना रहा कि सीबीआई की शुरुआती जांच में ब्लास्ट के पीछे बांग्लादेश के एक संगठन की भूमिका सामने आई थी, लेकिन बाद में इस मुकदमे की जांच एनआईए को दे दी। जांच अधिकारियों ने नए सिरे से जांच शुरू करते हुए सेना के कर्नल पुरोहित, स्वामी असीमानंद आदि को आरोपी बनाया। लेकिन एनआईए ने इन आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं जुटा सकी। 226 चश्मदीद गवाहों में से 74 गवाह अपने बयानों से पलट गए। मणि का कहना रहा कि उस समय देश में साम्प्रदायिक विवाद खड़ा करने के लिए एक साजिश की गई। मणि ने एनआईए कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारी न्याय प्रणाली का न्याय है।
गवाह पलटने की जांच होः
हैदराबाद के संसद और मुस्लिम नेता असुदद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि सारे गवाह वर्ष 2014 के बाद ही क्यों पलटे। उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार को अब हाईकोर्ट में अपील करनी चाहिए।
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