Tuesday 24 April 2018

सोजत के तहसीलदार को रिश्वत लेते समय मुख्यमंत्री का भी डर नहीं रहा।

सोजत के तहसीलदार को रिश्वत लेते समय मुख्यमंत्री का भी डर नहीं रहा। एसीबी ने रंगे हाथों पकड़ा।
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राजस्थान में भ्रष्टाचारियों के हौंसले कितने बुलंद हैं इसका अंदाजा 24 अप्रैल को सोजत में एसीबी द्वारा की गई कार्यवाही से पता चलता है। सोजत उपखंड पाली जिले में आता है और प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तीन दिवसीय दौरे पर हैं। 24 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने दूसरे दिन सुमेरपुर उपखंड में जनसंवाद किया। मुख्यमंत्री जब जनसंवाद में लोगों को ईमानदार प्रशासन देने का दावा कर रही थी कि तभी भीलवाड़ा की एसीबी की टीम ने सोजत के तहसीलदार सत्यनारायण वर्मा को दस हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। तहसीलदार के साथ उसके ड्रावर दुर्गाराम को भी गिरफ्तार किया गया। सीआई हनुमान सिंह के अनुसार तहसीलदार ने एक काश्तकार से नामांतरण करने की एवज में रिश्वत मांगी थी। एसीबी के अधिकारियों को भी इस बात का आश्चर्य रहा कि तहसीलदार को अपने ही जिले में मुख्यमंत्री की उपस्थिति का भी डर नहीं रहा। इससे प्रतीत होता है कि सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार किस तरह फैला हुआ है। सोजत का तहसीलदार तो पकड़ा गया, लेकिन राजस्थान भर में जिन लोगों का कोई काम ग्राम पंचायत से लेकर उपाखंड अधिकारी तक के कार्यालयों में पड़ता, उन्हें अच्छी तरह पता है कि फाइल को एक टेबल से दूसरी टेबल तक पहुंचाने के लिए नजराना देना पड़ता है। ऐसे मामलों में कोई सिफारिश काम नहीं आती है। यदि सिफारिश करवाई गई तो पटवारी ही खेल बिगाड़ देता है। राजस्व रिकाॅर्ड में पटवारी स्तर पर पहले गलत इन्द्राज किया जाता है और फिर शुद्धिकरण के लिए रिश्वत मांगी जाती है। सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा की गलत इन्द्राज के मामले में किसी भी सरकार ने पीड़ित व्यक्ति को राहत नहीं दी है। न्याय आपके द्वार जैसे अभियान सिर्फ दिखावा साबित हुए हैं।

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