Friday 27 April 2018

वसुंधरा जी, जब अमित शाह ही आपका चेहरा नहीं पढ़ पाए, तो ये बेचारे मीडिया वाले क्या समझेेंगे। आखिर गजेन्द्र सिंह शेखावत को नहीं बनने दिया प्रदेशाध्यक्ष।
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इसमें कोई दोराय नहीं कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजनीति की माहिर खिलाड़ी हैं। पिछले 12 दिनों से अटके पड़े प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद को लेकर राजे ने 26 अप्रैल को दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। राजे कोई तीन घंटे तक शाह के साथ रही और जब बाहर निकली तो मीडिया कर्मियों से मुलाकात का निर्णय जानना चाहा तो राजे के चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए कहा, यू केन सी माई फेस यानि आप लोग मेरे चेहरे को देख कर वार्ता का अंदाजा लगा लें। जिस अंदाज में राजे ने मीडिया कर्मियों से कहा उससे यह जाहिर होता है कि राजे ने जोधपुर के संसद और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को प्रदेशाध्यक्ष बनने से रोक दिया है यानि भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव रामलाल शेखावत की जो जिद कर बैठे थे, उस पर वसुंधरा राजे ने विराम लगा दिया है। जहां तक यू केन सी माई फेस का सवाल है तो अमित शाह जैसे राष्ट्रीय अध्यक्ष ही राजे का चेहरा नहीं पढ़ सके तो बेचारे मीडिया कर्मियों की तो विसात ही क्या है? मीडिया में तो वो ही आता है जो मीडिया घरानों के मालिक चाहते हैं। कई बार पत्रकार साथी चेहरा पढ़ और समझ भी लेता है, लेकिन हकीकत बयां नहीं कर पाता और फिर वसुंधरा राजे जैसे राजनेता का चेहरा पढ़ना इतना आसान नहीं है। यदि राजनेताओं का चेहरा इतना ही मासूम और पारदर्शी होता तो राजनीति इतनी खराब नहीं होती? आमतौर पर कहा जाता है कि नेता की कथनी और करनी में अंतर होता है, यानि नेता कहता कुछ है और करता कुछ है। समझ में नहीं आता कि वसुंधरा राजे ने किस भाव से मीडिया को चेहरा पढ़ने के लिए कह दिया।
शेखावत को रोकाः
16 अप्रैल को अशोक परनामी ने जब से प्रदेशाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया, तभी से राजस्थान में सत्तारूढ़ भाजपा में उथल पुथल मची हुई थी। जब भाजपा हाई कमान ने गजेन्द्र सिंह शेखावत को प्रदेशाध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया तो वसुंधरा राजे ने अपने हिमायती मंत्रियों और विधायकों को दिल्ली भेज दिया। पहले शेखावत की घोषणा को रुकवाया गया और फिर 26 अप्रैल को अमित शाह की मुलाकात से घोषणा को कई दिनों के लिए टलवा दिया। अब कहा जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव के परिणाम के बाद राजस्थान में प्रदेशाध्यक्ष की घोषणा होगी। जिस तरह से राजे ने शेखावत को रोकने के लिए अपने वीटो पावर का इस्तेमाल किया है उससे राजपूत समाज में और नाराजगी बढ़ी है। पद्मावती फिल्म और अन्य कारणों से  राजपूत और रावणा राजपूत समाज पहले से ही वसुंधरा राजे से नाराज चल रहे हैं।

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