Saturday 7 April 2018

राजस्थान में सीएम और होम मिनिस्टर की यह स्थिति है तो हालात का अंदाजा लगा लेना चाहिए। मुखर हो रहा है विरोध।
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7 अप्रैल को राजस्थान पत्रिका के अजमेर संस्करण में पृष्ठ 11 पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को लेकर खबरें प्रकाशित हुई है। इन खबरों को पढ़ने के बाद आभास होता है कि जब सीएम और होम मिनिस्टर की ऐसी स्थिति हैं तो फिर प्रदेश में सत्तरूढ़ दल के हालातों का अंदाजा लगा देना चाहिए। इतने मुखर विरोध के बाद नवम्बर में होने वाले विधानसभा के चुनाव कैसे जीते जाएंगे? सीएम राजे के तीन दिवसीय दौरे के पहले दिन 6 अप्रैल को सीकर जिले के पाटन क्षेत्र में जनसंवाद किया। सीएम के जनसंवाद की खबर मिलते ही क्षेत्र के आम लोग भी पहुंच गए, लेकिन जन संवाद में उन्हीं को प्रवेश दिया जिन्हें पूर्व में अनुमति दी गई; यानि आम लोग तो सीएम से मिल ही नहीं सके। जिन्हें प्रवेश दिया उनके काले रंग के रूमाल तक बाहर रखवा लिए। सीएम की सुरक्षा में लगे अधिकारी नहीं चाहते थे कि कोई व्यक्ति सीएम को कड़वी बात कहे या फिर काला रूमाल लहरा कर विरोध करे। सवाल उठता है कि जब सीएम आम व्यक्ति से मिल भी नहीं सकती हैं तो फिर जनसंवाद कैसा? आखिर सीएम को इतना डर क्यों लग रहा है? यदि वाकई विकास के कार्य हुए हैं तो लोग काले झंडे क्यों दिखाएंगे? असल में सीएम के आसपास ऐसे चापलूस लोग हैं जो सच्चाई सामने आने नहीं देते। ऐसे चापलूस ही विधानसभा चुनाव में सरकार की लुटिया डुबोएंगे।
कटारिया भी बौखलाएंः
प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया भी 6 अप्रैल को अपने निर्वाचन क्षेत्र में उदयपुर के वार्ड नम्बर 10 में जनसम्पर्क कर रहे थे, जब कुछ महिलाओं ने वार्ड में शराब के ठेके का विरोध किया। महिलाएं चाहती थी कि कटारिया साथ चल कर मौका देखें। माहिलाओं का कहना था कि यदि हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होता है तो आगामी चुनाव में वोट नहीं देंगे। इस पर कटारिया झल्ला गए; नाराज और उत्तेजित कटारिया ने कहा कि मत देना वोट, हरा देना, डराते काहे को हो, कुए में डालों अपने वोट। प्रदेश के गृहमंत्री की ऐसी भाषा सुन कर महिलाएं सन्न रह गई। असल में सरकार के मंत्रियों और विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसी ही परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। कटारिया को यह समझना चाहिए कि महिलाएं तो शराब जैसी सामाजिक बुराई को खत्म करवाने के लिए आई थी। ऐसी महिलाओं का तो सम्मान होना चाहिए था, उल्टे उन्हें प्रताड़ित होना पड़ा। ऐसे शराब जैसी बुराई को कैसे खत्म किया जाएगा? ऐसे में तो उन लोगों को बढ़ावा मिलेगा, जो शराबखोरी के पक्ष में हैं। अच्छा होता कि कटारिया महिलाओं के साथ मौके पर जाते और गृहमंत्री के अधिकारों का उपयोग करते हुए शराब की दुकान को बंद करवाते। अब जब गृहमंत्री ने ही शराब विरोधी महिलाओं को दुत्कार दिया है तो शराब बेचने वालों के हौंसले कितने बुलंद होंगे अंदाजा लगाया जा सकता है।

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