Monday 23 April 2018

तो नरेन्द्र मोदी को राहुल गांधी की चुनौती स्वीकार कर लेनी चाहिए।
संसद में 15 मिनट नहीं 30 मिनट का समय दिया जाए।
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23 अप्रैल को दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि संसद में यदि उन्हें 15 मिनट बोलने का समय दिया जाए तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके सामने खड़े नहीं रह सकते हैं। मोदी मुझ से घबराते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल गांधी देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उन्हें संसद में बोलने का पूरा हक हैं। वैसे भी सांसद होने के नाते राहुल गांधी लोकसभा में बोल सकते हैं। अब जब राहुल गांधी ने सीएम मोदी को सीधे चुनौती दे दी है तो फिर इस चुनौती को स्वीकार कर लिया जाना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि राहुल के बोलने पर मोदी को कोई एतराज  होगा। बल्कि राहुल को 30 मिनट का समय देना चाहिए, ताकि वे अपनी बात अच्छी तरह रख सकें। राहुल की इस चुनौती को भाजपा को गंभीरता के साथ लेना चाहिए, क्योंकि इससे संसद भी सुचारू चल सकेगी। सबने देखा है कि पहले कांग्रेस और फिर टीडीपी के सांसदों के हंगामे की वजह से संसद के दोनों सदन चल ही नहीं पाए। पूरा बजट सत्र बर्बाद हो गया। जब राहुल गांधी ने स्वयं ही संसद में बोलने की इच्छा जता दी है तो इसका सम्मान किया जाना चाहिए। हालांकि इन दिनों संसद नहीं चल रही है, लेकिन जब वर्षाकालीन सत्र शुरू हो तो राहुल गांधी के भाषाण से ही होना चाहिए। राहुल के बाद पीएम मोदी भी अपनी बात रख सके हैं। यदि इस मामले में लोकसभा की अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन कोई भूमिका निभा सकती हैं तो उन्हें भी निभानी चाहिए, क्योंकि संसद में हंगामा होने पर सबसे ज्यादा परेशानी उन्हीं को होती है। यदि राहुल गांधी के भाषण से संसद का संचालन सुचारू होता है तो इससे किसी को भी एतराज नहीं हो सकता।

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