Tuesday 24 April 2018

यह तो वसुंधरा राजे की नरेन्द्र मोदी और अमितशाह के नेतृत्व को चुनौती है।

यह तो वसुंधरा राजे की नरेन्द्र मोदी और अमितशाह के नेतृत्व को चुनौती है।
हिमायती मंत्रियों का दिल्ली में ही डेरा। राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष का मामला 9 दिन से लटका।
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24 अप्रैल को भी राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष का मामला अटका पड़ा रहा। अशोक परनामी ने गत 16 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया था, तभी से अध्यक्ष का पद रिक्त है। कहा जा रहा है कि भाजपा हाईकमान जिस नेता को अध्यक्ष बनाना चाहता है उस पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सहमति नहीं है। राजे के विरोध के चलते ही आलाकमान की हिम्मत घोषणा करने की नहीं हो रही। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री और अमितशाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद संभवतः यह पहला अवसर होगा, जब उनके नेतृत्व को चुनौती मिल रही है। अब तक तो यही माना जाता रहा कि मोदी-शाह का फैसला ही अंतिम होता है, लेकिन राजस्थान में वसुंधरा राजे ने इस धारणा को तोड़ दिया है। मोदी-शाह को साफ संकेत दिए हैं कि यदि प्रदेश नेतृत्व की सहमति से फैसला नहीं हुआ तो राजस्थान में संगठन में दरार भी हो सकती है। पहले यह संदेश प्रदेश के संगठन महासचिव चन्द्रशेखर के जरिए भिजवाया गया, लेकिन जब चन्द्रशेखर की नहीं चली तो फिर समर्थक विधायकों और मंत्रियों को भेजा गया। अभी सारी गतिविधियां जयपुर की ओर से हो रही है। दिल्ली ने कोई जवाब नहीं दिया है। जानकारों की माने तो राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश नेतृत्व की ताकत का आंकलन कर रहा है। यह देखा जा रहा है कि 160 भाजपा विधायकों में कितने विधायक प्रदेश नेतृत्व के साथ ही रहेंगे। हालांकि अभी सरकार का नेतृत्व बदलने का अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। लेकिन ऐसी परिस्थितियों का भी अध्ययन किया जा रहा है। प्रदेश नेतृत्व के समर्थक माने या नहीं, लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व बेहद खफा है। यही वजह है कि मोदी-शाह की ओर से वसुंधरा राजे से मिलने की कोई पहल नहीं की जा रही है। यानि प्रदेश नेतृत्व को एक के एक बाद विरोध वाले कदम उठाने की छूट दी जा रही है। इससे प्रदेश नेतृत्व की ताकत का अंदाजा लग जाएगा। राजनीति के जानकारों का मानना है कि जब प्रदेश नेतृत्व में बदलाव होगा तो फिलहाल समर्थन में खड़े विधायक रातों रात पाला बदल लेंगे। मुख्यमंत्री ने अपने तय कार्यक्रम के अनुरूप 24 अप्रैल को दिन भी पाली जिले में बिताया। वहीं शाम तक राष्ट्रीय नेतृत्व ने रोजाना की तरह चुप्पी साधे रखी। राजस्थान भाजपा में ऐसे समय खींचतान सामने आ रही है। जब नवम्बर में विधानसभा के चुनाव होने हैं और हाल के लोकसभा चुनाव में भाजपा सभी 17 विधानसभा क्षेत्र में हार चुकी है।
मंत्रियों का दिल्ली में डेराः
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के जो समर्थक मंत्री 23 अप्रैल को दिल्ली गए थे, उन्होंने 24 अप्रैल को भी दिल्ली में ही डेरा डाले रखा। कहा जा रहा है कि ऐसे मंत्रियों को दिल्ली में अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। उम्मीद की जा रही है कि 24 अप्रैल की रात को राजस्थान के मुद्दे पर अमित शाह और राष्ट्रीय संगठन महासचिव रामलाल के मध्य कोई वार्ता हो।

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