Monday 16 April 2018

आखिर जिग्नेश मेवाणी से ही डर गई वसुंधरा सरकार।

आखिर जिग्नेश मेवाणी से ही डर गई वसुंधरा सरकार। तो कैसी करेगी चुनाव का मुकाबला?
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राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने 15 अप्रैल को गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को न तो नागौर के मेड़ता रोड में सभा करने दी और न ही जयपुर में किसी से मिलने दिया। यहां तक के पूर्व मंत्री गोपाल केशावत को मुलाकात से पहले की एक पुराने मामले में गिरफ्तार कर लिया। सवाल उठता है कि जिस वसुंधरा सरकार के पास 200 में से 162 विधायकों का समर्थन है वह सरकार गुजरात के एक निर्दलीय विधायक से डर गई? यदि जिग्नेश मेड़ता रोड में सभा कर लेते तो क्या फर्क पड़ जाता? सरकार के इस फैसले से तो प्रदेश में जिग्नेश की लोकप्रियता ही बड़ी है। वसुंधरा सरकार की कमजोरी को भांपते हुए ही जिग्नेश मेवाणी ने घोषणा कर दी है कि वे मई-जून में प्रदेशभर में रोजगार यात्रा निकालेंगे। इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में वसुंधरा सरकार जिग्नेश की इस यात्रा पर भी प्रतिबंध लगा देगी? असल में राजस्थान में नवम्बर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस समय वसुंधरा सरकार का चैतरफा विरोध हो रहा है। हालात नियंत्रण में नहीं है। दो अप्रैल के बंद में तो सरकार के नियंत्रण की पोल पूरी तरह से खुल गई। राजस्थान में इतनी कमजोर सरकार तो कभी नहीं देखी। जब दूसरे प्रांत के निर्दलीय विधायक से ही सरकार इतनी डरी हुई है तो फिर राजस्थान के निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल के सामने सरकार की स्थिति कैसी होगी। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वसुंधरा सरकार ने बैठे-बैठे ही जिग्नेश को राजस्थान में बड़ा नेता बना दिया है। समझ में नहीं आता कि इस सरकार में ऐसे फैसले कौन ले रहा है। जहां तक गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का सवाल है तो वे नाम के गृहमंत्री हैं। गृह विभाग के सारे फैसले सीएमओ में होते हैं।

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