Sunday 15 April 2018

बहुत काम आ रही है चाचा की दिलेरी और दमदार पत्रकारिता।

बहुत काम आ रही है चाचा की दिलेरी और दमदार पत्रकारिता।
86वीं जयंती पर पिताश्री को नमन।
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अजमेर और राजस्थान के पुराने लोग मेरे पिता स्वर्गीय कृष्णगोपाल जी गुप्ता को जानते होंगे। बाहर गोपाल भैया और घर में चाचा की पहचान वाले पिता श्री की दिलेरी और दमदार पत्रकारिता आज मेरे बहुत काम आ रही है। सत्ता में बैठे लोगों को हमेशा से ही पत्रकारों से नाराजगी रही है। यह बात अलग है कि जब राजनेता विपक्ष में होते हैं तो उन्हें पत्रकार ही सबसे अच्छे लगते हैं, लेकिन सत्ता का नशा चढ़ते ही स्वभाव में बदलाव आ जाता है। इससे किसी भी दल का नेता अछूता नहीं है। सत्ता का उपभोग करते समय यह भूल जाते हैं कि यह बपौती नहीं है। गोपाल भैया ने भले ही अपने भभक समाचार पत्र को पाक्षिक ही रखा, लेकिन उनकी पत्रकारिता दमदार थी। गरीब और सर्वहारा वर्ग के लोगों के बीच ही काम करते रहे। रेलवे स्टेशन के कुली हो या फिर अजमेर के धोबी। सभी की समस्याओं के निदान में दिन भर गुजर देते थे। 1979 में हुई रेल हड़ताल में भी भूमिगत रह कर आंदोलन को सफल बनाया। रेल दुर्घटना में एक पैर खराब हो जाने के बाद भी पाल बीसला क्षेत्र से दो बार वार्ड मैम्बर का चुनाव जीता। इससे पुराने लोगों का अख्खड़पन ही कहा जाएगा कि स्वयं के लिए कुछ नहीं किया। दो बार पार्षद रहने के बाद भी एक इंच जमीन तक नहीं खरीदी। गोकुल भाई भट्ट जैसे सर्वोदयी नेताओं ने जब जब भी शराब बंदी का आंदोलन चलाया तो गोपाल भैया सबसे आगे रहे। जन आंदोलन में तो कई बार जेल गए ही साथ ही शराबबंदी के लिए कई बार जेल जाना पड़ा। हालांकि जो संघर्ष पिताश्री ने किया वैसा तो हम नहीं कर सकते, लेकिन फिर भी जो दिलेरी और दमदार पत्रकारिता उन्होंने की उसका कुछ अनुसरण हम कर सकते हैं। आज वो ही मेरे काम आ रही है। मेरे ब्लाॅग सत्ता में बैठे लोगों को रास नहीं आ रहे हैं हालांकि मंै वो ही लिख रहा हंू जो घटित हो रहा है। लेकिन सत्ता के नशे में राजनेता अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने लगे हुए हैं तो कौन बचाएगा! पिताश्री की 86वीं जयंती पर उन्हें पूरे परिवार के साथ नमन करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करता हंू कि मेरे माताजी श्रीमती कुंती देवी स्वस्थ्य और प्रसन्न रहें, ताकि लम्बे समय तक परिवार को उनका आशीर्वाद मिलता रहे।

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