Sunday 29 April 2018

जब मुस्लिम बच्चियों ने फर्राटे से बोली अंग्रेजी।
अजमेर के ऊंटड़ा में हुआ शिक्षा का शानदार जलसा।
दीनी के साथ साथ दुनिया की शिक्षा भी जरूरी।
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29 अप्रैल को अजमेर के निकटवर्ती ऊंटड़ा में इदारा-ए-दावत-उल हक संस्था की ओर से शिक्षा से जुड़ा एक शानदार जलसा हुआ, इस जलसे में देश की प्रमुख मस्जिदों के मुफ्ती और मुस्लिम विद्वानों ने भाग लिया। संस्था के प्रमुख मौलाना मोहम्मद अयूब कासमी ने मुझे भी खास तौर से दावत दी। मुस्लिम धर्म गुरुओं विद्वानों और विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों से भरे हुए मंच पर मुझे भी बोलने का अवसर मिला। मैं अपनी बात कहने के बजाए यहां ऊंटड़ा के जलसे के बारे में लिख रहा हंू। जलसे में मदरसे में पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों को हाफिज और कारी की डिग्री दी गई। लेकिन वहीं सरकार के मापदंडों के अनुरूप स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने वाले मुस्लिम बच्चों को भी सम्मानित किया गया, जिन बच्चों ने 10वीं और 12वीं की कक्षा में 70 प्रतिशत से भी ज्यादा अंक प्राप्त किए उन्हें समाज की शान मानते हुए प्रमाण पत्र दिए गए। मैंने देखा कि जिन मुस्लिम बच्चियों ने हाफिज और कारी की डिग्री ली वे बच्चियां फर्राटे से अंग्रेजी भी बोल रही थी। मौलाना कासमी ने जब खुले मंच से सवाल किए तो बच्चियों ने डिग्री के अनुरूप जवाब भी दिए। जिस आत्मविश्वास से बच्चियों ने अंग्रेजी में अपनी बात रखी उससे साफ जाहिर था कि ये बच्चियां आगे चल कर आसमान की ऊंचाईयां हांसिल करेंगी। लड़के और लड़कियों ने पवित्र कुरान शरीफ की आयते भी पूरे आत्मविश्वास के साथ सुनाई। 10 वर्ष से भी कम उम्र के बच्चों की याददाश्त वाकई काबिले तारीफ रही। मुस्लिम समाज में शिक्षा के महत्व को और बताते हुए मुस्लिम विद्वान और ख्वाजा साहब की दरगाह संस्था अंजुमन शेख जादगान के सदर एस जर्रार चिश्ती ने कहा कि 27 अप्रैल को यूपीएससी ने आईएएस की परीक्षा का जो परिणाम जारी किया है उसमें 40 सफल अभ्यर्थी मुस्लिम हैं। यानि अवसर मिले तो मुस्लिम युवा भी देश की सेवा करने में पीछे नहीं रहेगा। राजस्थान अल्पसंख्यक अधिकारी और कार्यकारी अध्यक्ष हारून खान ने कहा कि हमारा संघ जरुरतमंद बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाता है। इसके लिए मोबाइल नम्बर 8764419910 पर सम्पर्क किया जा सकता है। 
यूनिवर्सिटी की योजना भीः
ऊंटड़ा संस्था के प्रमुख मौलाना अयूब कासमी ने कहा कि मुस्लिम परिवारों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उनकी संस्था शिक्षण संस्थान चला रही है। अब ऊंटड़ा में एक यूनिवर्सिटी शुरू करने की एक योजना है। उम्मीद है कि अगले वर्ष तक काम शुरू हो जाएगा। अभी ऊंटड़ा के शिक्षण संस्थान में 72 कक्षाओं में पढ़ाई करवाई जाती है। कमरों की कमी की वजह से 14 कक्षाएं खुले मैदान में लगती। लेकिन अब जन सहयोग से नए कमरों का निर्माण हो रहा है। उन्हें उम्मीद है कि इसमें धन की कोई कमी नहीं आएगी। ऊंटड़ा की संस्था के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9950578600 पर मौलाना कासमी से ली जा सकती है। इस अवसर पर देश के प्रमुख मुस्लिम विद्वान हाजी शकील सैफी ने कहा कि ऊंटड़ा में शिक्षा के विकास में धन की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।
निकाह भी हुएः
मुस्लिम समाज में उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मौलाना अयूब कासमी ने अपनी बेटी का निकाह भी शैक्षिक जलसे में किया। यानि जलसे की दावत का खर्चा मौलाना कासमी ने वाहन किया, इतना ही नहीं अपनी बेटी के निकाह के साथ 6 अन्य मुस्लिम लड़कियों का निकाह भी करवाया। मौलाना कासमी समय समय पर सामूहिक विवाह के कार्यक्रम भी करवाते हैं।
ये विद्वान रहे मौजूदः
कफलेता जामिआतुल केरात के कारी अब्दुल हई, कड़ौदा के दारूल उलम के मुफ्ती आरीफ, खिरबा के दारुल उलूम देवबंद के मौलाना मेहमुदुल हसन, ख्वाजा साहब की दरगाह के गद्दीनशीन फकर काजमी, शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती, अंजुमन के सचिव डाॅ अब्दुल माजिद चिश्ती, जयपुर की शाही मस्जिद के मौलाना अमजद साहब, बेनऊ के मौलाना रहीमुद्दीन, जमियत उलमा-ए-हिन्द के सचिव मौलाना हकीमुद्दीन, पोखरन के मौलाना मोहम्मद अमीन, जयपुर के शहर काजी मुफ्ती जकिर मौलाना, मोहम्मद मेहमूद खान, मौलाना काजिम अली, हाजी इंसाफ अली, इकबाल कुरैशी, आरीफ हुसैन, मेहराज खान, नवाब हिदायत उल्ला व आरिफ कुरैशी आदि उपस्थित रहे।

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